फरवरी मध्य में फायर सीजन शुरू होने के बाद से ही उत्तराखंड में जंगलों के धधकने का क्रम बना हुआ है। हालांकि बीते दो सप्ताह में गर्मी बढ़ने के साथ ही वनों में आग की घटनाएं भी तेजी से बढ़ने लगी हैं। 15 मार्च के बाद से अब तक प्रदेश में 45 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।
मार्च में ही गर्मी बढ़ा रही बेचैनी
जबकि, इस सीजन में अब तक कुल 72 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है। रविवार को भी देर शाम चमोली जिले के पीपलकोटी क्षेत्र में जंगल आग की चपेट में आ गए।
मार्च में ही गर्मी बेचैनी बढ़ा रही है। शुष्क मौसम में जंगलों को भी आग का खतरा बढ़ गया है। चमोली में पीपलकोटी के समीप कौडिय़ा के जंगलों में आग धधक रही है। देर रात तक भी मौके पर वन विभाग के कर्मी नहीं पहुंचे। आग से कई हेक्टेयर जंगल जलकर राख होने का अनुमान है।
60 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित
उधर, गांवों के पास खेतों में आग के पहुंचने का खतरा बना हुआ है, जिसके चलते ग्रामीण आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। इधर, बीते 15 मार्च से अब तक प्रदेशभर में कुल 45 घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें 60 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसमें एक हेक्टेयर रोपित क्षेत्र भी शामिल है।
अब तक कुल 73 घटनाएं दर्ज
वन विभाग के अनुसार, फायर सीजन शुरू होने के बाद से अब तक कुल 73 घटनाएं दर्ज की गई हैं। जिनमें 27 गढ़वाल परिक्षेत्र में और 38 घटनाएं कुमाऊं में हुई हैं। इसके अलावा वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में भी आठ घटनाएं दर्ज की गई हैं। अब तक प्रदेश में कुल 87.36 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है।
कुराड़ के जंगल में लगी आग से वन संपदा को नुकसान
शुक्रवार से चमोली जिले के पिंडर घाटी कुराड़ क्षेत्र में सुलग रहे जंगलों की आग रविवार को तीसरे दिन भी नहीं बुझ सकी। जिससे यहां कोटडीप, कुराड़, खूनी, पार्था, सबगड़ा, ढुगाखोली, सुनाऊं गांवों में धुंआ भरने से आम जन को सांस लेने में भी दिक्कतें होने लगी हैं।
बदरीनाथ वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश दुबे का कहना है कि आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही आग पर काबू पा लिया जाएगा।