नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक में स्थित एक छोटे से कुंड से हुआ है.अपने उद्गम स्थान पर एक पतली सी धार से निकलती हुई नर्मदा आगे जाकर विशाल रूप धारण कर लेती है. ऐसा माना जाता है की जितना पूण्य गंगा नदी में स्नान करने से मिलता है उतना ही पूण्य नर्मदा नदी में नहाने से मिलता है.
नर्मदा नदी के बारे में बहुत सारी कहानिया प्रचलित है.लोक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी एक ऐसी नदी है जो कुंवारी है और अपनी दिशा से उलटी और बहती है.नर्मदा नदी के उलटी तरफ बहने के पीछे भी बहुत सारी कहानिया है.एक कहानी के अनुसार अपने प्रेमी से नाराज होकर ये उलटी दिशा में बहने लगी थी.
एक कहानी के अनुसार नर्मदा नदी और सोनभद्र का विवाह होने वाला था.जब विवाह के लिए वह मंडप में जाने वाली थी तब उन्हें पता चला की उनकी ही एक दासी जिसका नाम जुहिला है (जुहिला और सोनभद्र भी नदी है )
वो और सोनभद्र आपस में प्रेम करते है.यह जान कर नर्मदा नदी काफी दुखी हुई और उनको यह अपना अपमान लगा.और वह अपना विवाह छोड़ कर उलटी दिशा में चल पड़ी .और सोनभद्र के बहुत बुलाने पर भी वापस नहीं आयी .कहा जाता है कि आज भी नर्मदा सोनभद्र से अलग दिखाई देती है.