हिन्दू धर्म में होली पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होली पर्व मनाई जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि होली से आठ पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। बता दें कि इस अवधि में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है और होलिका दहन के बाद यह कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलाष्टक की अवधि में ग्रहों का स्वभाव उग्र हो जाता है, जिस कारण से इनके दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ जाता है। ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस वर्ष होलाष्टक 2023 आठ नहीं बल्कि नौ दिनों तक रहेगा। आइए जानते हैं होलाष्टक की तिथि और नियम।

होलाष्टक 2023 तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से होता है। ऐसे में इस वर्ष सप्तमी तिथि का प्रारंभ 27 फरवरी 2023 को मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 28 फरवरी को सुबह 02 बजकर 21 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार होलाष्टक का समापन 07 मार्च 2023, मंगलवार को होलिका दहन के दिन होगा।
होलाष्टक 2023 नियम
- होलाष्टक की अवधि में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश इत्यादि न करें।
- होलाष्टक की अवधि में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है, इसलिए इस अवधि में अधिक से अधिक भगवान का नाम स्मरण करें। हवन आदि का आयोजन भी शुभ माना जाता है।
- होलाष्टक के दौरान दान का विशेष महत्व है इसलिए दौरान ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें।
- इस अवधि में रोज सुबह सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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