इस मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं सीधे काम

भारत में स्थित चार स्वयं-भू चिंतामन गणेश मंदिर में से एक अति प्राचीन विक्रमादित्य कालीन ऐतिहासिक श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर में स्थित है। पूर्व उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य परमार वंश के राजा ने मंदिर का निर्माण कराया था।

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इस मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बनाने से बनते हैं सीधे काममंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई है। मूर्ति जमीन के अंदर आधी धंसी हुई है, इसलिए आधी मूर्ति के ही दर्शन होते हैं। यह स्वयंभू प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 155 में महाराज विक्रमादित्य द्वारा गणेशजी के मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया गया था। 

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डेढ़ सौ साल पहने नहीं लगता था मंदिर में ताला

चिंतामन सिद्ध गणेश जी होने से एवं 84 सिद्धों में से अनेक तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है। बताया जाता है कि गणेशजी के मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। 150 वर्ष पूर्व तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था तब चारों ने मूर्ति की आंखों में लगे हीरे चोरी कर लिए गए थे तथा गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा बही थी।

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