माता सीता का पूजन बहुत विधि विधान से किया जाता है और इसी के साथ उनकी आरती से उन्हें खुश भी किया जा सकता है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं माता सीता की आरती, जिसे गाकर आप उन्हें खुश कर सकते हैं. यह आरती माता के पूजन के बाद गायी जाती है और इसी के साथ आज के दिन माता सीता, श्री राम और चंद्र देवता का पूजन शुभ माना जाता है. माता सीता ने अपने गुणों से सभी को मोहित किया था और आज उनके जैसी स्त्री मिलना नामुमकिन है वह अपने सास ससुर और अपने पति की खूब सेवा करती थी और इसी के कारण उन्होंने वनवास में भी श्री राम का साथ नहीं छोड़ा था.
सीता जी की आरती –
सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती।
संगहि सुशोभित लछुमन-राम सब मिलिकय करियनु आरती।।
विपदा विनाशिनि सुखदा चराचर,सीता धिया बनि अयली सुनयना घर
मिथिला के महिमा महान…सब मिलिकय करियनु आरती।।सीता बिराजथि…
सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर,बायाँ कमल कर दायाँ अभय वर
सौम्या सकल गुणधाम…..सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि…
रामप्रिया सर्वमंगल दायिनि,सीता सकल जगती दुःखहारिणि
करथिन सभक कल्याण…सब मिलिकय करियनु आरती।। सीता बिराजथि…
सीतारामक जोड़ी अतिभावन,नैहर सासुर कयलनि पावन
सेवक छथि हनुमान…सब मिलिकय करियनु आरती।।सीता बिराजथि…
ममतामयी माता सीता पुनीता,संतन हेतु सीता सदिखन सुनीता
धरणी-सुता सबठाम…सब मिलिकय करियनु आरती ।। सीता बिराजथि…
शुक्ल नवमी तिथि वैशाख मासे,’चंद्रमणि’ सीता उत्सव हुलासे
पायब सकल सुखधाम…सब मिलिकय करियनु आरती।।
सीता बिराजथि मिथिलाधाम सब मिलिकय करियनु आरती।।।