मोदी सरकार ने पहली बार घटाई एक्साइज ड्यूटी
– दिल्ली में 3 अक्टूबर को पेट्रोल 70.88 रुपए प्रति लीटर जबकि डीजल 59.14 रुपए प्रति लीटर था। एक्साइज ड्यूटी कम करने से सरकार को एक साल में 26 हजार करोड़ रुपए का घाटा होगा। अगर इस वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों (31 मार्च 2018 तक) की बात करें तो यह घाटा 13 हजार करोड़ रुपए होगा।
– सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। जुलाई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल के रेट्स बढ़ रहे थे लेकिन सरकार ने जब एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाई तो उसकी आलोचना होने लगी।
सरकार की कितनी कमाई?
– दिल्ली में 3 अक्टूबर को जो पेट्रोल का रेट था वो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा था। डीजल के रेट सितंबर 2013 के बाद सबसे ज्यादा रहे।
– भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है। सरकार 2002 से ही यह कोशिश कर रही है कि देश में पेट्रो प्रोडक्ट्स के रेट इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से तय किए जाएं।
पेट्रोल-डीजल महंगा 3 वजह
– सितंबर में भारतीय बास्केट क्रूड के रेट 171 रुपए प्रति बैरल यानी 5% बढ़ गए हैं।
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और सच ये है… 4 महीने में सरकार ने 1.15 लाख करोड़ रुपए वसूले
@डीजल:अगस्त 2014 में 3.56 रुपए थी। अब 17.33 रुपए प्रति लीटर है। यानी इसमें 387% का इजाफा हो चुका है।
– 73 हजार करोड़ रुपए चार महीने में केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी से वसूले।
– 42 हजार करोड़ रुपए राज्यों ने वैट से वसूले। दोनों मिलाकर 1.15 लाख करोड़।
फायदा: 26.65 रु. के पेट्रोल पर 36.44 रु. टैक्स, 7.29 रु. मार्जिन
ऐसे तय हो रही तेल की कीमत | पेट्राेल | डीजल |
कंपनी की लागत | 26.65 | 26.00 |
कंपनी का मार्जिन | 4.05 | 4.54 |
डीलर को बेचा | 30.70 | 30.54 |
एक्साइज ड्यूटी | 21.48 | 17.33 |
डीलर का मार्जिन | 3.24 | 2.18 |
वैट (दिल्ली) | 14.96 | 8.67 |
खुदरा कीमत | 70.38 | 58.72 |
(आंकड़े- रुपए प्रति लीटर में) |