इंसानों की तरह डायबिटीज कुत्तों को भी शिकार बना रही है। इसका खुलासा तब हुआ जब कानपुर के पशु चिकित्सकों के पास ऐसे केस आने लगे। अहम बात है कि एक-दो नहीं, बल्कि रोज 60-70 मामले पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक सात वर्ष से अधिक आयु वाली मादा कुत्तों में इसका खतरा ज्यादा है। यह आंकड़ा लगभग दोगुना है। बताया जा रहा है कि इनके डायबिटिक होने का सबसे बड़ा कारण मोटापा है। मोटापे के कारण कुत्ते फैटी लिवर, हड्डियों एवं फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सइ दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है।
ये प्रमुख कारण सामने आए
पशुचिकित्सक डॉ. नितेश कटियार के मुताबिक लोग कुत्तों को अधिक कैलोरी वाला भोजन खिला देते हैं। ज्यादा दौड़-भाग न करने के कारण यह कैलोरी फैट के रूप में कुत्तों के शरीर में जमा होने लगती है। यह भी मोटापे का कारण है। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ कुत्तों में पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। इससे मोटापे का खतरा बढ़ने लगता है। इसके अलावा न्यूटेरिंग एक प्रक्रिया है, इसमें कुत्ते नपुसंक हो जाते हैं। कई बार कुछ दवाइयों से भी मोटापा बढ़ता है।
दो साल तक उम्र कम कर रहा मोटापा
पशुचिकित्सक डॉ. कुलदीप गौतम का कहना है कि पग, बीगल, जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर प्रजातियों में मोटापा करीब दो साल तक उम्र कम कर रहा है। यदि कुत्ते की कमर के चारों ओर अतिरिक्त चर्बी है। छूने पर पसलियां महसूस न हों, सांस लेने में दिक्कत हो, दिनभर सुस्त रहे और दौड़ नहीं पाता हो तो आपका कुत्ता मोटापे का शिकार है। आमतौर पर मादा लेब्राडोर का वजन 30 से 35 किग्रा तक होता है जो बढ़कर 60 किग्रा तक हो जाता है। औसतन 12 किग्रा वाला पग भी मोटा होकर 16 किग्रा तक हो रहा है। बीगल का औसतन वजन 15 है ये बढ़कर करीब 20 किग्रा तक हो रहा है।
ऐसे रखें अपने कुत्ते को स्लिम
डॉ. सुधीर श्रीवास्तव के मुताबिक कुत्ते को स्लिम रखने के लिए उन्हें खुद के लिए बना हुआ ज्यादा कैलोरी वाला खाना नहीं देना चाहिए। रोजाना चार से पांच किमी या करीब एक घंटे तक सैर करानी चाहिए। कुत्तों को प्रोटीनयुक्त कम फैट वाला भोजन देना चाहिए।