नई दिल्ली: एक समय था जब छात्रों से पूछो कि कहां पढ़ते हो तो अधिकांश का जवाब इंजीनियरिंग ही होता था. लेकिन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी AICTE द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के आंकड़ों में यह दावा किया गया है कि इंजीनियरिंग की शिक्षा देने वाले देशभर के संस्थानों में 50 फीसदी सीटें खाली हैं. पूर्वोत्तर राज्यों की ओर यदि रुख करें तो हालात और भी चिंताजनक हैं.
AICTE के आंकड़ों के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों खासतौर से नागालैंड के इंजीनियरिंग कॉलेजों की 100 फीसदी सीटें खाली हैं. बता दें कि नागालैंड में हाल ही में बीजेपी ने गठबंधन में सरकार बनाई है. ऐसे में वहां के आम निवासियों को बीजेपी से स्थिति में बदलाव करने की उम्मीद है. क्षेत्रीय लोगों के अनुसार यहां ज्यादातर बच्चे मिशनरी स्कूलों में ही पढ़ते हैं. क्योंकि सुदूर इलाकों में सरकारी स्कूल ना के बराबर हैं.
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 240 सीटों का कोई दावेदार ही नहीं है. AICTE मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत काम करता है और यह देश में तकनीकी शिक्षा को देखता है.
जहां एक ओर नागालैंड और मेघालय में इंजीनियरिंग की सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं, वहीं मणिपुर में कोई वैकेंसी नहीं है. हालांकि आसाम के 18 कॉलेजों में 34 फीसदी सीटों पर वैकेंसी है. लेकिन सिक्किम और त्रिपुरा में 40 फीसदी से कम सीटें खाली हैं.
AICTE के आंकड़ों के अनुसार इन राज्यों के साथ-साथ देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत ठीक नहीं है, जहां 50 फीसदी से ज्यादा सीटें खाली ही हैं. राज्यों ने AICTE को यह प्रस्ताव दिया है कि इंजीनियरिंग की सीटों को अब आगे ना बढ़ाया जाए. इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिला बढ़ाने के लिए AICTE ने लड़कियों के लिए स्कॉलरशिप स्कीम जारी की है. साथ ही विकलांग छात्रों को भी तकनीकी शिक्षा में दाखिला लेने पर कुछ छूट मिलेगी. इन संस्थानों को D.Voc और B.Voc कोर्स चलाने की अनुमति भी दी गई है.
पूर्वोतर राज्यों में हुए चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया. नतीजों में कांग्रेस जहां पिछड़ती नजर आई, वहीं राज्यों में BJP की लहर नजर आई. खासतौर से त्रिपुरा के नतीजों ने तो लोगों को सबसे ज्यादा हैरान किया. वर्षों तक लेफ्ट के दबदबे को BJP ने एक झटके में खत्म कर दिया.