अपने स्क्रीन पर ये खबर देखते ही सफेद झूठ लगती है लेकिन पाठको को ये जान कर आश्चर्य होगा कि ये बात सोलह आने सच है।
एक बेरोज़गार इंजीनियर ने कबाड़ में पड़े समान को जोड़-तोड़ कर एक टाइम मशीन ( समय में आगे-पीछे जाने वाली मशीन) बनाई है और अपने पहले प्रयास मेये वैज्ञानिक अपनी टाइम मशीन को सफलतापूर्वक समय से पीछे 7 नवंबर को लेकर गया और अपने घर के पास वाले ए. टी. एम. से सौ-सौ के नोट निकाल लिए।
बताया जाता है कि मेकैनिकल इंजिनियर मैडी ने पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के काफ़ी प्रयास किए लेकिन उसे नौकरी नही मिली। आजकल बेरोज़गार चल रहे मैडी अपने आवारा दोस्तो के साथ अय्याशी करता रहता है।
विज्ञान का शौक रखने वाले मैडी इससे पहले अपने पापा की पुरानी बाइक से हेलीकॉपटर और घर मे पड़े पुरानी मिक्सर-ग्राइंडर से एक कार बना चुका है। नोटबंदी से परेशान चल रहे मैडी इस समस्या का समाधान सोचता रहता था। ऐसे में इंटरस्टेलार फिल्म देखकर ग्रेविटी और वर्महोल के जानकार बन चुके मैडी ने टाइम मशीन बनाने की सोची और इसके लिए उसने पुराने फ्रिज पर अपना रीसर्च शुरू दिया। 8 नवंबर से दिन रात लगे हुए मैडी को हाल में सफलता मिली और उनकी टाइम मशीन चालू हो गयी जो कि पेट्रोल और डीजल दोनो पर चलती है।
अब मैडी ने एक पुराने फ्रिज को कैसे एक चालू टाइम मशीन बनाया ये अभी मीडिया को नही बताया गया है। पाठक उदास ना हों क्योंकि फेकिंग न्यूज़ भेदिया सूत्रो की तलाश जारी रखेगा। मैडी के पिता ने बताया कि टाइम मशीन के चालू होते ही होनहार मैडी ने मशीन मे 7 नवंबर का टाइम सेट किया और गूगल मैप मे ए. टी. एम का. पता डाला और बटन दबा वहाँ तुरंत पहुच गया। अपने और बाकी घर वालो के ए. टी. एम कार्ड लेकर गये मैडी ने और सौ-सौ के बहुत सारे नोट निकाल लिए।
सोशल मीडिया पर हिट हो रहे मैडी के इस कारनामे पर पूरा वैज्ञानिक समाज आश्चर्यचकित है और सरकार ने इसको समझने के लिए टाइम मशीन को कब्ज़े मे ले लिया है। सरकार शायद टाइम मशीन का प्रयोग कर के समय से आगे जाकर ये देखना चाहती है नोटो की किल्लत कब तक रहेगी ताकि प्रधानमंत्री अपने भाषण मे ठीक उतने दिनो का समय जनता से माँग ले|।