जम्मू (ललित कुमार)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 10 रुपये की एक डाक टिकट किसी को भी करोड़पति बना सकती है। शर्त सिर्फ इतनी है कि यह डाक टिकट 1948 में जारी हुई हो और इस पर ‘सर्विस’ प्रिंट होना चाहिए। आजादी के तत्काल बाद भारत के गवर्नर जनरल के लिए विशेष रूप से ओवरप्रिंट की गई यह डाक टिकट दुनिया में सबसे कम छपी हुई टिकट है।
अंतिम बार जिनेवा में हुई नीलामी में ‘डेविड फेल्डमैन’ ने यह डाक टिकट दो लाख डॉलर (करीब एक करोड़ 30 लाख रुपये) में बेची थी। अगर किसी के पास गवर्नर जनरल द्वारा ‘कैंसिल’ की गई वास्तविक डाक टिकट हो तो उसकी कीमत करोड़ों रुपये में है। इस दुलर्भ डाक टिकट के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। आजादी से पूर्व भारत में ब्रिटिश शासन का डाक टिकट चलता था। जब देश आजाद हुआ तो भारत सरकार की ओर से अपना डाक टिकट जारी किया गया।
इस दौरान ब्रिटिश सरकार को अपने दफ्तर बंद करते समय डाक टिकटों की आवश्यकता पड़ी। भारत सरकार ने 1948 में गांधी की तस्वीर वाली 10 रुपये कीमत की ‘सर्विस’ टिकट सिर्फ 200 ही जारी की। इसमें से 100 टिकट उस समय के गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया को इस्तेमाल के लिए दी गई। शेष 100 में से कुछ उस समय के प्रमुख लोगों व अधिकारियों को तोहफे में दी गई। कुछ आज भी राष्ट्रीय अभिलेखागार व डाक संग्रहालय में उपलब्ध हैं। केवल 10 टिकट ही थी जो निजी हाथों तक पहुंच पाई।
यही कारण है कि आज यह दुलर्भ डाक टिकट बेशकीमती हो गई है। इस दुर्लभ डाक टिकट की मांग का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अगर कोई ऑनलाइन इसे खरीदने के लिए इंक्वायरी डाले तो दर्जनों ऐसे फर्जी डाक टिकट सामने आ जाते हैं। इन पर ‘सर्विस’ अंकित रहता है, लेकिन यह वास्तविक नहीं है।
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