एमएस धोनी की कप्तानी में आज से ठीक 10 साल पहले टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में घुसकर हार का स्वाद चखाया था। माही की जादुई कप्तानी का फैन पूरा इंग्लिश खेमा भी हुआ था। धोनी ने इंग्लैंड के जबड़े से जीत को छीना था और तीन आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा करने वाले दुनिया के पहले कप्तान बने थे।
23 जून साल 2013। एजबेस्टन का मैदान और चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल। एमएस धोनी की कप्तानी में आज से ठीक 10 साल पहले टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में घुसकर हार का स्वाद चखाया था। माही की जादुई कप्तानी का फैन पूरा इंग्लिश खेमा भी हुआ था। धोनी ने इंग्लैंड के जबड़े से जीत को छीना था और तीन आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा करने वाले दुनिया के पहले कप्तान बने थे।
भारतीय बल्लेबाजों ने किया था सरेंडर
खिताबी मुकाबले में को छोड़कर भारतीय बल्लेबाज बुरी तरह से फ्लॉप रहे थे। सिर्फ 9 रन बनाकर चलते बने थे, तो धवन ने 31 रन का योगदान दिया था। विराट कोहली के बल्ले से 34 गेंदों पर 43 रन आए थे। हालांकि, उनको दूसरे छोर से किसी भी बल्लेबाज का साथ नहीं मिल सका था। कार्तिक 6 रन बनाकर आउट हुए थे, तो रैना एक और कप्तान एमएस धोनी अपना खाता तक नहीं खोल सके थे।
जीत की तरफ बढ़ रही थी इंग्लैंड
इंग्लैंड की टीम जीत की तरफ तेजी से कदम बढ़ रही थी। शुरुआत भले ही इंग्लिश टीम की भी बढ़िया नहीं रही थी, लेकिन इयोन मोर्गन और रवि बोपारा के बीच चल रही साझेदारी खिताब को भारत से दूर कर रही थी। 17 ओवर में इंग्लैंड के स्कोर बोर्ड पर 102 रन लग चुके थे और अब आखिरी तीन ओवर में सिर्फ 28 रन बनाने थे।
माही का मास्टर स्ट्रोक आया काम
18वें ओवर के लिए जब गेंद ईशांत शर्मा के हाथों में थमाई, तो हर किसी को यह फैसला एकदम गलत लग रहा था। हालांकि, माही को खुद और अपने अनुभवी गेंदबाज पर फुल भरोसा था। 18वें ओवर का आगाज अच्छा नहीं हुआ था। ओवर की दूसरी ही गेंद पर मोर्गन ने ईशांत शर्मा को छक्का जड़ दिया था और अगली लगातार दो गेंद ईशांत वाइड डाल चुके थे। दबाव ईशांत पर था। ऐसे में माही विकेट के पीछे से दौड़ते हुए आए और उन्होंने मानो ईशांत को गुरुमंत्र दे डाला।
दो गेदों में 2 विकेट
दो वाइड के बाद अगली दो गेंदों पर ईशांत ने इंग्लैंड के सेट बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा दी। ईशांत का पहला शिकार इयोन मोर्गन बने, तो अगली गेंद पर रवि बोपारा अश्विन को कैच थमा बैठे। ईशांत ने मैच पूरी तरह से पलट डाला था। भारत की जीत की उम्मीदें जग चुकी थीं। हालांकि, अभी काम अधूरा था।
अश्विन का आखिरी ओवर
ईशांत के बाद रवींद्र जडेजा ने भी 19वां ओवर कमाल का फेंका था और सिर्फ चार रन खर्च किए थे। ऐसे में आखिरी ओवर में जीत के लिए इंग्लैंड को 14 रन की दरकार थी। भुवनेश्वर कुमार का एक ओवर शेष था, तो उमेश यादव ने सिर्फ दो ओवर डाले थे। इन सबके बावजूद कप्तान धोनी ने आखिरी ओवर फेंकने के लिए रविचंद्रन अश्विन पर दांव चला।
लास्ट बॉल पर सिक्स की जरूरत
अश्विन की पहली गेंद पर कोई रन नहीं बना, लेकिन दूसरी बॉल पर स्टुअर्ट ब्रॉड ने जोरदार चौका जड़ दिया। तीसरी गेंद पर एक रन आया, तो चौथी और पांचवीं बॉल पर दो-दो रन बने। अब हर किसी की सांसें अटक चुकी थीं। आखिरी गेंद पर इंग्लैंड को चैंपियन बनने के लिए सिक्स की जरूरत थी और सामने स्पिन गेंदबाज भी था। मुश्किल समय में हीरो बनने का अश्विन के पास सुनहरा मौका था। अश्विन के हाथों से निकली लास्ट बॉल को ट्रेडवेल बल्ले से छू भी नहीं सके और इसके साथ ही इंग्लिश धरती पर जश्न चालू हो गया। भारत ने 5 रन से मैदान मारते हुए लंबे अरसे बाद चैंपियंस ट्रॉफी के खिताब को अपने नाम कर लिया था और माही की कप्तानी एक बार फिर मिसाल बनी थी।
तीन आईसीसी ट्रॉफी माही के नाम
इंग्लैंड को उसी की धरती पर पटखनी देने के साथ ही एमएस धोनी ने खास मुकामभी हासिल किया था। माही आईसीसी की तीन ट्रॉफी पर कब्जा जमाने वाले दुनिया के पहले कप्तान भी बने थे। धोनी की अगुवाई में भारत ने साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप, तो 2011 में 50 ओवर के विश्व कप को अपने नाम किया था।