केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच सिलसिले में सोमवार को पूर्व मीडिया बैरॉन पीटर मुखर्जी को पांच दिनों के लिए हिरासत में लिया। मुखर्जी को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया।
मुखर्जी की आईएनएक्स मीडिया लिमिटेड ने कथित तौर पर विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी पाने के लिए रिश्वत का भुगतान किया था, जिसमें पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम ने मदद की थी। हालांकि, शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 लाख रुपये की जमानत पर कार्तिक को जमानत दे दी।
कार्ति को कोर्ट से मिली सशर्त जमानत
न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने कहा कि जमानत के दौरान देश छोड़ने से पहले कार्ति को सीबीआइ से अनुमति लेनी होगी और वह भारत व विदेश में अपने किसी भी बैंक खाते को बगैर जांच एजेंसी को जानकारी दिए बंद नहीं करेंगे। हाई कोर्ट ने कार्ति को निर्देश दिया कि वह अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे और न ही सुबूतों को मिटाने का प्रयास करेंगे। सीबीआइ ने कार्ति की जमानत का विरोध किया। इस दौरान पी. चिदंबरम कोर्ट रूम में मौजूद रहे।
कार्ति चिदंबरम को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने कहा कि सीबीआइ को दिए बयान में किसी भी एफआइपीबी के अधिकारी ने नहीं कहा कि एफडीआइ क्लीयरेंस के लिए कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया था या प्रभावित हुए थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआइ की पूरी जांच में अब तक आइएनएक्स मीडिया मामले में अनियमितिता को लेकर एक भी सरकारी कर्मचारी की न तो पहचान की गई है और न ही किसी को हिरासत में लिया गया है।
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