New Delhi: अमेरिका के एक प्रमुख कांग्रेस पैनल ने पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद की शर्तों को कठोर करने के लिए मतदान किया है।
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पैनल ने पाकिस्तान पर अमेरिकी सहायता प्राप्त करने के लिए कड़ी शर्त लगाने के पक्ष में मतदान किया और आतंकवादी गुटों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहने की सूरत में उस सहायता को निलंबित करने का अधिकार विदेश मंत्री को दिया है।
हाउस अप्रोप्रिएशन कमिटी ने गुरुवार को ‘2018 स्टेट ऐंड फॉरन ऑपरेशंस अप्रोप्रिएशंस मसौदा विधेयक’ भारी बहुमत से पास कर दिया। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान को अमेरिकी आर्थिक सहायता तभी मिलेगी, जब विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन संतुष्ट होंगे कि आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इस्लामाबाद कड़ी कार्रवाई कर रहा है।
अब यह बिल हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के पास विचार करने के लिए भेज दिया गया है। इस विधेयक के तहत कुल 47.4 अरब डॉलर राशि का प्रावधान है। यह राशि एक अक्टूबर 2017 से 31 दिसंबर 2018 के बीच के लिए दी जानी है। इसमें यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को कर्ज पर ब्याज माफी का लाभ तभी मिलेगा, जब रक्षा मंत्री इसकी पुष्टि करेंगे कि पाकिस्तान उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ लगातार सैन्य कार्रवाई कर रहा है।
नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) -2018 के तहत एक अक्टूबर 2017 से 31 दिसंबर 2018 के बीच पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद के लिए 40 करोड़ डॉलर की रकम तय की गई है।
इसमें यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को कर्ज पर ब्याज माफी का लाभ तभी मिलेगा, जब रक्षा मंत्री इसकी पुष्टि करेंगे कि पाकिस्तान उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ लगातार सैन्य कार्रवाई कर रहा है। इसके अलावा उसे अफगान सरकार से मिलकर अफगान सीमा पर आतंकियों की आवाजाही रोकने के लिए भी कदम उठाने होंगे।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर पाकिस्तान इन शर्तों को पूरा करने में नकाम होता है तो विदेश मंत्री को ‘सहायता निलंबित’ कर देनी चाहिए।
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