हादसे के कारणों का पता लगाने को हम एनटीपीसी पहुंचे तो गेट पर ही हमारी मुलाकात एक टेक्नीशियन से होती है। ये टेक्नीशियन हादसे के वक्त प्लांट में ही मौजूद थे। नाम न छापने की शर्त पर वे बताते हैं कि जांच में सोमवार को ही पता चल गया था कि सेफ्टी वॉल्व चोक हो चुके हैं। सेफ्टी वॉल्व का चोक होना साफ इशारा है कि किसी भी क्षण कोई बड़ा हादसा हो सकता है। फिर भी प्लांट को चालू रखा गया। बेहद गुस्से में वे कहते हैं, यूनिट नंबर-6 का अलार्म सिस्टम तक दुरुस्त नहीं किया गया था। 5-7 मिनट पहले भी खतरे की घंटी बज गई होती तो शायद कुछ जानें बच गई होतीं।
लोहे के एंगल गल कर गिरने लगे…अंदाजा लगाइए हालात कैसे रहे होंगे
यह टेक्नीशियन बताते हैं जब बॉयलर फटा तो लोहे के मोटे-मोटे एंगल गलकर गिरने लगे। वे कहते हैं, आप खुद अंदाजा लगाइए कि चपेट में आने वालों का हश्र कैसा रहा होगा। जो कामगार सेफ्टी बेल्ट पहनकर काम कर रहे थे, उन्हें बेल्ट खोलने तक का वक्त नहीं मिला।
पांच को एयरएंबुलेंस से दिल्ली भेजा
लखनऊ लाए गए झुलसे 46 लोगों में से पांच को एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया। इनमें एजीएम मिश्रीराम, एजीएम प्रभात श्रीवास्तव, श्रमिक सहदेव साहू, घनबोई और छोटू चौधरी शामिल हैं।
मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश, मानवाधिकार आयोग ने भी दिया नोटिस
प्रदेश सरकार ने उंचाहार स्थित एनटीपीसी में हुए हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच केनिर्देश दिए हैं। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हादसे में मौतों पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कहा कि लापरवाही के कारणों का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।
एनटीपीसी ने कहा- पहली नजर में हादसे की वजह राख निकलने में बाधा
मामले पर उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक रवींद्र सिंह राठी का कहना है कि पहली नजर में हादसे की वजह भट्ठी के तलहटी से राख निकलने में बाधा आना रही है। इससे बॉयलर व टरबाइन का प्रेशर बढ़ा और यूनिट ट्रिप हो गई। इसी दौरान 20 मीटर ऊपर फर्नेस के बाहरी तरफ इकोनामाइजर हॉपर खुल गया और गरम राख और स्टीम की चपेट में आने से 29 लोगों की मौत हो गई। जांच के लिए निदेशक एसके रॉय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी।
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