राम रहीम और हनीप्रीत के लिए अब बाबा का ये ‘करीबी’ बड़ी मुसीबत बन सकता है। पुलिस ने साढ़े 5 घंटे पूछताछ की और 150 सवालों ने उसे बेहाल कर दिया।
दरअसल 25 अगस्त को पंचकूला में हुई हिंसा के मामले में एसीपी मुकेश मल्होत्रा के नेतृत्व में एसआईटी ने पंजाब के पूर्व एमएलए और डेरा प्रमुख के रिश्तेदार हरमिंदर सिंह जस्सी से करीब साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ की। एसआईटी ने जस्सी से, हिंसा के दिन जस्सी कब और कहां थे, हनीप्रीत को पनाह देने के मामले में भूमिका क्या थी और काफिले के पीछे चलते हुए कब और क्यों अलग हुए सहित अन्य पहलुओं पर भी करीब 150 सवाल किए गए।
इन सवालों के जवाब की पुष्टि करने के बाद पुलिस दोबारा जस्सी को पूछताछ के लिए बुला सकती है। हरमिंदर सिंह जस्सी से सेक्टर-20 थाने में हुई पूछताछ के दौरान टीम के सदस्यों ने हिंसा मामले से संबंधित सभी पहलुओं पर पूछताछ की। इसमें हिंसा के दिन जस्सी कहां थे और डेरा प्रमुख के रिश्तेदार होने के नाते जब गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया गया, उस वक्त कब और कहां थे।
जस्सी से मिले सवालों के जवाब से एसआईटी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है, नतीजतन अब सवालों के जवाब की सत्यता की जांच की जा रही है। अगर जरूरत पड़ी तो दोबारा पूर्व एमएलए को पूछताछ के लिए एसआईटी बुला सकती है। हां इन सवालों के जवाब में एक बात जरूर साफ हो गई है कि हिंसा के दिन जस्सी, डेरा प्रमुख के काफिले में थे, लेकिन बीच में कब और कहां उन्होंने साथ छोड़ दिया, पुलिस इसकी छानबीन में जुटी हुई है।
मुझ पर नहीं है कोई आरोप…जस्सी
जस्सी से करीब साढ़े पांच घंटे की पूछताछ के दौरान पुलिस के कई सवालों के जवाब ऐसे भी मिले जिससे लग रहा था कि सच्चाई छुपाने की कोशिश की जा रही है। जस्सी ने पूछताछ के बाद बाहर मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि मेरे ऊपर पर कोई आरोप नहीं है….इसके बाद नो कमेंट्स कहते हुए अपनी कार में बैठकर रवाना हो गए।
मोबाइल कॉल डिटेल्स से होंगे अहम खुलासे
जस्सी से हुई पूछताछ में पुलिस को कुछ जवाबों पर अभी भी शक है। ऐसे में सच्चाई तक पहुंचने के लिए पुलिस जस्सी सहित मामले के अन्य आरोपियों के मोबाइल कॉल डिटेल्स का भी मिलान करेगी। माना जा रहा है कि इससे हनीप्रीत को पनाह देने में इनकी भूमिका, डेरा प्रमुख के रिश्तेदार होने के नाते हिंसा में जस्सी की भूमिका सहित इन बातों का भी खुलासा होगा। सूत्रों की मानें तो जस्सी के भी कुछ सुरक्षा गार्ड इस काफिले में थे, जिन्होंने डेरा प्रमुख को फरार कराने की साजिश रची थी। इन पहलुओं को भी पुलिस खंगालेगी।
सवाल- हिंसा के दिन आप कहां थे?
जवाब- मैं काफिले के पीछे-पीछे जरूर था, लेकिन मैं 25 अगस्त को पंचकूला नहीं आया था।
सवाल- आप डेरा प्रमुख के रिश्तेदार हैं और हनीप्रीत के फरार रहते हुए बठिंडा में उसे पनाह दिलवाने में आपने सहयोग किया?
जवाब- नहीं, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता।
सवाल- काफिले के पीछे चलते हुए अचानक कब और कहां चले गए?
जवाब- मैं पंचकूला तक नहीं आया, बीच में ही मैं कहीं और चला गया।
सवाल- हिंसा मामले में पूछताछ के लिए पहले भी आपको बुलाया गया, नोटिस भेजने के बाद भी बार-बार जांच से क्यों बचते रहे?
जवाब- मैं निजी वजहों से पिछली बार पूछताछ में शामिल नहीं हो सका, मुझे पुलिस और कानून पर पूरा भरोसा है।
सवाल- हिंसा के दिन डेरा के किन करीबियों से आपकी क्या बातचीत हुई?
जवाब- मैं उस दिन रास्ते में ही था, इसलिए किसी से बातचीत नहीं हो सकी।
सवाल- अदालत ने जब डेरा प्रमुख को दोषी करार दिया उस वक्त आप कहां थे।।
जवाब- फिलहाल याद नहीं, लेकिन मैं पंचकूला में नहीं था।
सवाल- हनीप्रीत को पनाह देने वाले क्या आपके संपर्क में थे?
जवाब- ऐसे किसी भी व्यक्ति से मेरी बातचीत नहीं हुई।
सवाल- हिंसा की इतनी बड़ी साजिश में शामिल लोगों से आपकी बातचीत होती रही, फिर आपने कभी भी पुलिस के सामने अपना पक्ष क्यों नहीं रखा।
जवाब- पुलिस ने जब भी मुझसे जानकारियां मांगने की कोशिश की, मैंने पूरा सहयोग किया है।
सवाल- हिंसा मामले के आरोपियों का आपके घर पर आना-जाना रहा।
जवाब- राजनीति में होने की वजह से कोई भी मेरे पास पहुंचता है, लेकिन मैंने ऐसे किसी भी शख्स को अपने पास नहीं बुलाया।
सवाल- हिंसा मामले में आपने पुलिस को नोटिस के बाद भी दो दिन तक इंतजार करवाया?
जवाब- मैंने बताया, मैं अपने निजी वजह से पूछताछ में शामिल नहीं हो सका, लेकिन बुधवार को हुई पूछताछ में सभी पहलुओं पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए हैं।