नई दिल्ली: अब यदि कोई भी व्यक्ति बेनामी लेन देन करते पाया गया या फिर उसके पास बेनामी संपत्ती मिली तो फिर उसे 7 वर्ष के कारावास की सजा तक हो सकती है। जी हां, यह कह रहा है आयकर विभाग। आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ती और बेनामी ट्रांजिक्शन करने वालों को हिदायत दी हुई है। विभाग अब ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेगा और बेनामी संपत्ती या ट्रांजिक्शन पाए जाने पर या तो विभाग आयकर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई करेगा या फिर उसे 7 वर्ष के कारावास की सजा तक हो सकेगी।
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आयकर विभाग द्वारा लोगों को हिदायत दी जा रही है कि ब्लैकमनी मानवीयता नहीं है। यह एक अपराध है और इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विभाग द्वारा कहा गया कि लोगों को बेनामी प्राॅपर्टी ट्रांजिक्शन एक्ट और बेनामी लेन देन रोकने वाले नियमों को लेकर जागरूक रहना चाहिए। लोग न तो कालाधन रखें और न ही बेनामी लेन देन करें। यदि कोई भी व्यक्ति बेनामी संपत्ती या लेनदेन को छुपाता है तो फिर उसे बेनामी ट्रांजिक्शन अमेंडमेंट एक्ट 2016 के अंतर्गत 7 वर्ष की जेल भी हो सकती है।
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अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि यदि बेनामी प्राॅपर्टी एक्ट के अंतर्गत गलत जानकारी दी जाती है या फिर जानकारी छुपाई जाती है तो फिर ऐसा करने पर 5 वर्ष के कारावास की सजा भी भुगतना पड़ सकती है। इतना ही नहीं यदि बेनामी संपत्ती मिली तो उस संपत्ती के बाजार मूल्य पर 10 प्रतिशत का जुर्माना आरोपित होगा।
आईटी विभाग ने यह भी बताया कि नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ती को लेकर फरवरी माह में ही 230 प्रकरण दर्ज हुए और विभाग ने लगभग 55 करोड़ रूपए का कालाधन पकड़ा है। बड़े पैमाने पर लोग ब्लैकमनी का अंतरण करते हुए पाए गए। नोटबंदी के ही बाद 124 प्रकरण में 55 करोड़ रूपए की संपत्ती जब्त की गई। कई लोगों के पास से तो 500 रूपए और 1 हजार रूपए के नोट मिले तो कुछ लोग 2 हजार रूपए के नए नोट में भी कालाधन छुपाते और इसका असंगत परिवहन करते पकड़े गए।