कानपुर। फूलों से अब चमड़ा भी तैयार किया जाएगा। कानपुर में इसकी सफल शुरुआत कर दी गई है। चमड़े के मुकाबले एक चौथाई सस्ता बताया जा रहा यह पर्यावरण हितैषी विकल्प चमड़ा उद्योग से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने में भी कारगर होगा। कानपुर और उन्नाव के अनेक चमड़ा कारखानों (टेनरी) ने इसके इस्तेमाल को हामी भर दी है।
कानपुर में हुआ शोध
आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) कानपुर और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के इनक्यूबेशन सेंटर के सहयोग से हेल्प अस ग्रीन के युवा उद्यमियों ने यह ग्रीन लेदर तैयार किया है।
बिल्कुल चमड़े की तरह
चमड़े का यह कृत्रिम विकल्प मंदिरों, शादी, पार्टियों एवं उत्सवों आदि में इस्तेमाल किए गए फूलों से तैयार होगा। इसकी गुणवत्ता बिल्कुल चमड़े की तरह ही रहती है जबकि इसे बनाने की प्रक्रिया वास्तविक चमड़े को तैयार करने की विधि से एक चौथाई सस्ती है।
गेंदे के फूल का इस्तेमाल
आइआइटी कानपुर की अत्याधुनिक लैब में गेंदे के फूलों से चमड़े का कृत्रिम विकल्प बनाने में सफलता मिली। रिसर्च अब भी जारी है। उम्मीद की जा रही है कि अन्य फूलों का भी इस काम में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
टेनरी संचालकों से हुआ करार
शुरुआती स्तर पर निर्माण शुरू होने के बाद कानपुर और उन्नाव के टेनरी संचालकों से कच्चे माल के लिए करार हो गया है। इससे जैकेट, दस्ताने, चप्पलें, बेल्ट आदि बनाए जा सकते हैं। रेग्जीन की अपेक्षा यह चमड़े का सबसे बेहतर विकल्प बताया जा रहा है।
15 से 20 दिन में तैयार
प्रोजेक्ट से जुड़े रिसर्च साइंटिस्ट प्रतीक कुमार के मुताबिक इस प्रक्रिया में फूलों को विशेष सूक्ष्मजीवियों से युक्त तरल पदार्थ में डाला जाता है। साथ ही कुछ अन्य रसायनों का भी इस्तेमाल किया जाता है। 24 डिग्री तापमान में रखे जाने पर 15 से 20 दिन में पूरा मिश्रण कच्चे माल में तबदील हो जाता है।
पेटेंट कराया गया
संस्था ने फूलों से कृत्रिम चमड़ा तैयार करने की इस विधि को पेटेंट करा लिया है। खास बात यह कि इस पूरी प्रक्रिया में प्रदूषण न के बराबर होगा, जबकि वास्तविक चमड़ा तैयार करने में बहुत अपशिष्ट निकलता है। इसमें वास्तविक चमड़े की तरह दुर्गंध भी नहीं आएगी।
स्थापित होंगी दो लैब
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर और सिडबी की ओर से इस अनूठे काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए स्पेन के वैज्ञानिकों की मदद से कानपुर में दो प्रयोगशालाएं (लैब) विकसित की जा रही हैं। इसके लिए स्पेन से कुछ खास उपकरण मंगाए गए हैं, जो जल्द ही यहां पहुंच जाएंगे। फोब्र्स की अंडर-30 उद्यमियों की सूची में शामिल किए गए हेल्प अस ग्रीन, कानपुर के दो उद्यमी अंकित अग्रवाल और करण रस्तोगी भी इस प्रोजेक्ट में सहयोग कर रहे हैं।