नोटबंदी के बाद लांच कालेधन के लिए लांच की गई डिस्क्लोजर स्कीम के तहत जितना भी धन सरकारी खजाने में आएगा, इसके 70 से 80 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल गरीबों को मकान देने में किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पहले सैद्धांतिक तौर पर यह फैसला किया गया था कि स्कीम के तहत जितनी भी राशि आएगी, उसका वितरण 3 योजनाओं में किया जाएगा लेकिन सबकी राय बनी है कि इस स्कीम का 3 चौथाई हिस्सा गरीबों को आवास देने में खर्च किया जाए। इसकी 20 प्रतिशत राशि गांवों में सड़क निर्माण के लिए रखी जाए। वैसे भी इस डिस्क्लोजर स्कीम का नाम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना रखा गया है। 3 साल में 81,975 करोड़ खर्च होंगे
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पर 3 साल में 81,975 करोड़ रुपए खर्च होने की योजना है। गांवों में घर बनाने के लिए अलग से रकम तय की गई है। अभी सामान्य इलाकों में घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए दिए जाते हैं। कालाधन डिस्क्लोजर स्कीम से सरकारी खजाने में पैसा आने पर इस राशि में बढ़ौतरी की जाएगी। इसके अलावा सरकार घर बनाने के लिए जरूरी जमीन मुहैया करा सकती है। अभी सिर्फ उन्हीं को घर बनाने का खर्च दिया जा रहा है, जिनके पास जमीन है। प्रधानमंत्री देशवासियों से 2022 तक सभी को घर देने का वायदा कर चुके हैं।
20 फीसदी गांवों की सड़क पर
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय चाहता था कि कालाधन डिस्क्लोजर स्कीम में आने वाली राशि से ग्रामीण सड़क योजना पर खर्च बढ़ाया जाए। पिछले बजट में ग्रामीम सड़क योजना पर 19,000 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रवाधान था। इस योजना के तहत 2019 तक 65,000 बस्तियों को जोड़ने का लक्ष्य है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय इस योजना के माध्यम से आने वाले पैसे के एक हिस्से का इस्तेमाल डिजिटल साक्षरता अभियान पर खर्च बढ़ाने के लिए करना चाहता था। इसके लिए स्वच्छ भारत अभियान के लिए भी एक हिस्सा चाहता था। मगर पीएमओ ने कहा कि बेहतर होगा कि इस योजना के ज्यादातर हिस्से का खर्च गरीबों को घर देने में किया जाए। इससे लोगों में यह संदेश जाएगा कि नोटबंदी का पूरा फायदा सरकार गरीबों को दे रही है।
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