इसके तहत आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर, उन्नाव और लखनऊ जिले में परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के मालिकों के बारे में पड़ताल कराई गई। एक साल पहले के बैनामा निकलवाए गए।
आगरा जिले में ऐसे 160 बैनामा थे। पिछले कई महीनों से इनकी जांच चल रही थी, इसमें सदर तहसील अंतर्गत 17 और फतेहाबाद तहसील अंतर्गत 143 बैनामा थे। एडीएम, भूमि अध्याप्ति नगेंद्र शर्मा ने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के 160 बैनामों की जांच कर ली गई है, इनमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। इसकी रिपोर्ट प्रशासन ने उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
आख्या: सभी को परियोजना के संरेखण की जानकारी थी। विक्रेताओं से सहमति पत्र भी भरवाए गए हैं।
2. क्या क्रेता- विक्रेता स्थानीय निवासी और कृषक हैं।
आख्या: विक्रेता स्थानीय कृषक थे। क्रेता शहरी थे और कृषक नहीं थे।
3. क्या क्रेता- विक्रेता की आर्थिक स्थिति उपरोक्त भूमि को क्रय करने लायक विक्रय की तिथि को थी।
आख्या: सभी की आर्थिक स्थिति जमीन खरीदने लायक थी।
4. विक्रेता द्वारा भूमि विक्रय के पश्चात प्राप्त धनराशि का उपयोग किस प्रकार किया गया है अथवा वह धनराशि उसके खाते में शेष है।
आख्या: विक्रेताओं ने धनराशि का प्रयोग बैंक ऋण चुकता व कृषि भूमि खरीदने में किया गया। खाते में अवशेष धनराशि के संबंध में खातेदारों ने बताने से इनकार कर दिया।
5. क्या ऐसी भी संभावना है कि कतिपय अन्य लोगों ने संबंधित क्रेता को भूमि क्रय करने के लिए किसी अन्य उद्देश्य से धनराशि उपलब्ध कराई गई हो।
आख्या: ऐसी संभावना नहीं है।
6. क्या किसी क्रेता द्वारा 12.50 एकड़ से अधिक भूमि क्रय की गई।
आख्या: ऐसा कोई क्रेता नहीं है।
7. उपरोक्त संरेखण के अनुसार आवश्यक भूमि के अतिरिक्त क्या ऐसी भूमि भी क्रय की गई है, जो परियोजना के लिए आवश्यक नहीं थी, यदि ऐसा है तो उसका पूर्ण विवरण दिया जाए।
आख्या: ऐसी भूमि क्रय नहीं की गई है, जो परियोजना के लिए आवश्यक नहीं थी।