अमेरिकी सरकार ने ‘एशिया-प्रशांत’ की बजाय ‘भारत-प्रशांत’ कहने पर जोर दिया है. इस शब्दावली को सही ठहराते हुए इसके बचाव में अमेरिका ने कहा है कि यह भारत के आगे बढ़ने की अहमियत को बयां करता है, जिसके साथ अमेरिका के मजबूत संबंध हैं और यह आगे बढ़ रहा है.
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टोक्यो में संवाददाताओं से कहा, ‘भारत के साथ हमारा मजबूत संबंध है और बढ़ता जा रहा है. हम ‘भारत-प्रशांत के बारे में बात करते हैं, क्योंकि यह शब्दावली भारत के आगे बढ़ने की अहमियत को बयां करता है.’ उन्होंने कहा कि भारत-प्रशांत मुक्त समुद्री साझा हित की अहमियत बयां करता है, जो हमारी सुरक्षा और समृद्धि को जारी रखेगा.
हालांकि, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच एक रणनीतिक वार्ता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह भी कहा कि रणनीति का मकसद चीन को रोकना नहीं है. दरअसल इससे पहले खबर आई थी कि वन बेल्ट वन रोड (OBOR) के जरिये पूरी दुनिया पर दबदबा कायम करने की मंशा पाले चीन को जवाब देने के लिए अब जापान भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को साथ लाने की योजना बना रहा है.
खबर के मुताबिक, एशियाई दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने 6 नवंबर को होने वाली मुलाकात के दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस सिलसिले में प्रस्ताव रखेंगे. इसके तहत चारों देशों के नेता जमीन और समुद्र के रास्ते से होने वाले अपने व्यापार और सुरक्षा मामलों में सहयोग बढ़ाएंगे. दक्षिणपूर्व, दक्षिण और मध्य एशिया के अलावा मध्य पूर्व और अफ्रीका तक इसे फैलाया जाएगा.
प्रशांत और हिंद महासागर में भारत को मिलती इस तरजीह ने चीन को खिन्न जरूर कर दिया है. वह इस प्रस्ताव को क्षेत्र में उसके प्रभाव से मुकाबला करने की कोशिश के तौर पर देख रहा है. हालांकि इस बारे में उसने फिलहाल बेहद सधी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि उसे उम्मीद है इससे तीसरे पक्ष का हित प्रभावित नहीं होगा या उसे निशाना नहीं बनाया जाएगा.
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