यूपी 2017 के चुनाव में कांग्रेस और सपा के आखिरी मौके पर हुए समझौते ने लड़ाई को पूरी तरह त्रिकोणीय बना दिया है. 27 साल यूपी बेहाल, शीला दीक्षित को सीएम उम्मीदवार और राहुल गांधी की किसान यात्रा के बाद अचानक राहुल-अखिलेश ने गठबंधन कर लिया.
बीजेपी और बसपा के साथ ही गठबंधन सियासी लड़ाई में आपस में खूब टकराये, एक-दूसरे पर तमाम व्यक्तिगत हमले भी हुए, भाषा का स्तर भी गिरा, खूब जुमलेबाजी हुई, कई कहावतें और नए ‘फुल फॉर्म’ गढ़े गए. खुद राहुल ने प्रदेश भर में अकेले 50 रैलियां कीं, अखिलेश के साथ 4 साझा रोड शो और 4 साझा रैलियां कीं.
सबसे चौंकाने वाली रही राहुल की बसपा और मायावती को लेकर रणनीति. पूरे चुनाव में राहुल ने पीएम मोदी और बीजेपी को ही निशाने पर रखा. राहुल लगातार मोदी सरकार को जुमलों की सरकार बताते रहे और उन पर 2014 में किये वादे पूरे ना करने का इल्जाम लगाते रहे. लेकिन राहुल ने मायावती और बसपा पर काफी हद तक चुप्पी साधे रखी.बोले थे- इज्जत करता हूंराहुल और अखिलेश की पहली साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मायावती का सवाल आया, तो राहुल ने कहा कि, मैं कांशीराम और मायावती जी की इज्जत करता हूं. जबकि बगल में बैठे अखिलेश लगातार मायावती पर हमलावर रहे. अखिलेश भविष्य में बीजेपी और बसपा के हाथ मिलाने की बात अपने अंदाज में कहते रहे. अखिलेश ने कहा कि, बीजेपी और बसपा पहले की तरह रक्षाबंधन मना लेंगे. इसके बावजूद अखिलेश के साथ साझा रोड शो और साझा रैली करने वाले राहुल माया पर नर्म ही दिखे.
आगरा में नजर आई थी खानापूर्ति
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