पवित्र गंगा नदी में अवैध खनन के मामले में मातृ सदन ने खुद की पैरवी

उत्तराखंड में पवित्र पावन गंगा नदी में अवैध खनन को लेकर शुक्रवार को सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय इस मामले में आगामी 26 जुलाई को पुन: सुनवाई करेगा। हरिद्वार कनखल स्थित मातृ सदन और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पकंज पुरोहित की युगलपीठ में सुनवाई हुई।

रायवाला से भोगपुर तक धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन
मातृसदन की ओर से कहा गया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से गंगा नदी में खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। उच्च न्यायालय भी सीपीसीबी के आदेश का सख्ती से अनुपालन का निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद गंगा नदी में अवैध खनन जारी है। रात के अंधेरे में खनन माफिया द्वारा गंगा नदी के सीने को चीरा जा रहा है। रायवाला से भोगपुर तक धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है।

मातृ सदन की ओर से स्वयं की जा रही पैरवी
प्रदेश सरकार की ओर से अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई जा रही है। सरकार की ओर से कहा गया कि गंगा में अवैध खनन नहीं हो रहा है। इस मामले में मातृ सदन की ओर से स्वयं पैरवी की जा रही है। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता को मामले से जुड़े तथ्यों और साक्ष्यों के संबंध में लिखित नोट अगले शुक्रवार तक उपलब्ध कराने को कहा है। इस मामले में 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

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