निजी स्कूल संचालकों ने 50 प्रतिशत से कम बच्चों आने पर स्कूल खोलने में असमर्थता जताई है। मंगलवार को शिक्षा सचिव और निदेशक को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी। प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) की ओर से भेजे पत्र में एसओपी की कुछ शर्तों में संशोधन की मांग भी की गई है।
पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि प्रदेश के लगभग सभी डे और बोर्डिंग स्कूल्स के साथ लगातार हुई बैठकों और विचार-विमर्श के बाद ये तय किया गया है कि कम से कम पचास प्रतिशत बच्चे अगर स्कूल आते हैं तो ही स्कूल खुल सकेंगे। क्योंकि स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई को लेकर तमाम इंतजाम करने हैं।
ऐसे में दस-बीस प्रतिशत बच्चों में ये नहीं हो पाएगा। अब तक दस प्रतिशत से ज्यादा अभिभावकों ने ही सहमति दी है, जिसे देखते हुए स्कूल आशंकित हैं। उन्होंने कहा कि एसओपी में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल की होने की बात कही गई है, ऐसे में स्कूल प्रिंसिपल या प्रबंधक पर कानूनी कार्रवाई संभव है। इसका विरोध किया जा रहा है। इस शर्त को हटाया जाए। बोर्डिंग स्कूलों में हर बच्चे और स्टाफ की 72 घंटे पहले की नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी को देने की बाध्यता रखी गई है।
जबकि बोर्डिंग स्कूलों में बच्चे घर से अलग-अलग दिन पहुंचेंगे। ऐसे में रोजाना उनकी रिपोर्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी को देना संभव नहीं है। मांग की है कि रिपोर्ट स्कूलों में ही रखी जाए। उसे विभाग या जिला प्रशासन के अधिकारी आकर देख सकते हैं या सारी रिपोर्ट आने के बाद ही उसे सीईओ दफ्तर भिजवाए जाने की छूट दी जाए।
ये भी मांग की है कि हॉस्टल में बेड का पार्टिशन ना करने की छूट दी जाए। क्योंकि वो सारे बच्चे नेगेटिव रिपोर्ट वाले होंगे, पार्टीशन से उनमें अकेलापन और डर भी हो सकता है। सभी हॉस्टल स्टॉफ को स्कूल में ही रहने की जगह देने पर भी आपत्ति की गई है। स्कूलों में एक घंटे का योगा और मेडिटेशन करवाने की छूट भी मांगी गई है। ताकि इससे बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाई जा सके।