UK में सुरक्षित महसूस करते हैं कश्मीरी छात्र, आतंकवाद से दूर बेहतर भविष्य की ओर है अग्रसर

जम्मू कश्मीर के छात्र अपने भविष्य को संवारने के लिए लंबे समय से उत्तराखंड का रुख करते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां उन्हें शांतिप्रिय माहौल मिलता है और आतंकवाद की आंच से दूर बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो जाते हैं, लेकिन वर्ष 2019 के फरवरी महीने में पुलवामा अटैक हुआ तो देश भर में आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा चरम पर आ गया था। उसी समय कुछ शरारती तत्वों ने हमले को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके बाद कश्मीरी छात्र भी लोगों के निशाने पर आ गए थे।

आतंकवाद से आम कश्मीरी भी परेशान

वर्ष 2019 में जब पुलवामा हमला हुआ था तो जम्मू कश्मीर के छात्रों में भी दहशत फैल गई थी। इसके पीछे कुछ शरारती तत्व थे, जो हमले को लेकर अशोभनीय टिप्पणी कर रहे थे। उसी समय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधिमंडल देहरादून आया था। तब पीडीपी के वाची (साउथ कश्मीर) से पूर्व विधायक रहे एजाज अहमद मीर ने कहा था कि घाटी में आतंकवाद से हम भी दुखी हैं, लेकिन उससे ज्यादा दुखी इस बात से हैं कि हमें उनका मददगार कहा जाता है।

एजाज ने कहा कि कश्मीर में बंदूक (आतंकवादी) से बंदूक (सेना) की लड़ाई है। इसमें आम कश्मीरियों का कोई दोष नहीं। जब एक फौजी शहीद होता है तो हमें भी उतना ही दुख होता है, जितना देश के किसी दूसरे नागरिक को। एजाज मीर ने तब यह भी कहा था कि कश्मीर का हर बाशिंदा अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए उत्तराखंड भेजना चाहता है, क्योंकि उत्तराखंड सबसे सुरक्षित हैं।

80 फीसदी कश्मीरी छात्र चले गए थे वापस

मौजूदा समय मे राज्य के अलग अलग शैक्षणिक संस्थानों में करीब तीन हजार कश्मीरी छात्र व छात्राएं अध्ययनरत हैं।लेकिन जब पुलवामा की घटना हुई थी, तो देश भर में जो माहौल बना था, उसकी वजह से 80 फीसदी स्टूडेंट वापस चले गए थे। हालांकि अधिकांश बाद में वापस भी आ गए थे।

इसलिए बिगड़ा था माहौल

पुलवामा में हुई घटना पर कश्मीर के रहने वाले एक छात्र ने फेसबुक पर मैसेज पोस्ट की थी। उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल एक छात्रा ने उसकी पोस्ट पर आपत्ति जताई तो वह उसे धमकी देने लगा, लेकिन इस दौरान जब एक बाद एक कमेंट आने लगे तो छात्र ने माफी मांगते हुए पोस्ट डाल दी। बावजूद इसके उसकी टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल होती रही। जिससे स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई थी। इसे लेकर देहरादून में कई दिन कश्मीरी छात्रों को लेकर प्रदर्शन होते रहे। जिसके बाद ही पीडीपी का प्रतिनिधिमंडल यहां आया था। हालांकि, राहत की बात यह रही देहरादून पुलिस तब प्रभावी कार्रवाई करते हुए मामला शांत करा दिया था, जिससे कोई अप्रिय वारदात नही होने पाई थी।

सत्यापन में भी बरती जा रही सावधानी

हर साल बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्र दून में दाखिला लेते हैं। लेकिन इनके सत्यापन की केवल औपचारिकता ही पूर्ण होती रही है, लेकिन अब कड़े सत्यापन के बाद ही कश्मीरी छात्रों को संस्थान अपने यहां प्रवेश देने लगे हैं। इसका असर यह हुआ कि फरवरी 2019 के बाद देहरादून या फिर पूरे उत्तराखंड में कश्मीरी छात्रों के साथ दुर्व्यवहार का कोई मामला सामने नही आया।

नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी

जम्मू कश्मीर के नागरिकों और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के अलावा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक अपर पुलिस अधीक्षक स्तर की अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। वहीं, अन्य जिलों में एसएसपी और एसपी नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया है। बता दें कि पिछले दिनों जम्मू कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार से मिलकर अपनी समस्याओं को साझा किया था।

डीजी अशोक कुमार ने बताया कि राज्य में निवासरत जम्मू कश्मीर के छात्र-छात्राओं पर हमला, धमकी, उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार की घटनाओं को रोकने और ऐसे कार्य करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने के लिए ममता वोहरा अपर पुलिस अधीक्षक शिकायत प्रकोष्ठ को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। वहीं जिलो के एसएसपी और एसपी से कहा गया है कि जम्मू कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में आवश्यक कदम उठाएं। साथ ही अगर उत्पीड़न संबंधित कोई प्रकरण प्रकाश में आता है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट और उन पर की गई कार्यवाही की जानकारी पुलिस मुख्यालय में नियुक्त नोडल अधिकारी को उपलब्ध करानी होगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com