बैंकों का 9000 करोड़ रुपये लेकर फरार शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सोमवार को ब्रिटेन की एक कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला है और उसे इसका जवाब देना होगा। कोर्ट के कार्यवाही के अचानक फायर अलार्म बज गया। इससे चलते कोर्ट रूम को खाली कराना पड़ा और सुनवाई कुछ समय के लिए टाल दी गई। 61 वर्षीय माल्या कार्यवाही के दौरान वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मौजूद था।
भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रॉसीक्यूसन सर्विस (सीपीएस) ने दलील रखी। सीपीएस ने कोर्ट को बताया कि माल्या ने पहले किंगफिशर एयरलाइंस के लिए 2000 करोड़ कर्ज लिया। इसके बाद उन्होंने अन्य बैंकों से कुल 9000 करोड़ का कर्ज लिया जिसे चुकाया नहीं। सीपीएस ने माना कि कुछ लोन की मंजूरी में बैंकों की ओर से गड़बड़ी हुई लेकिन यह मामला भारत में बाद में निपटा लिया जाएगा।
सीपीएस ने कहा कि हमारे मामले का पूरा ध्यान माल्या का व्यवहार है कि कैसे उन्होंने बैंकों को गुमराह कर करोड़ों का कर्ज लिया और उसे चुकाया नहीं। सीपीएस ने कोर्ट में माल्या के अपराध का पूरा ब्योरा पेश किया। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, सरकारी पक्ष ने कोर्ट को बताया कि माल्या ने लोन के पैसे को मोटर रेसिंग में और अपने निजी इस्तेमाल के लिए खरीदे गए दो कॉर्पोरेट जेट का किराया भरने के लिए इस्तेमाल किया।
सरकारी पक्ष को पहले मौका मिलने का किया विरोध
सरकारी पक्ष को पहले मौका देने का विरोध करते हुए माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि बचाव पक्ष को पहले दिन दलील रखने का मौका मिलेगा। माल्या पूरी सुनवाई के दौरान शीशे से घिरे कठघरे में बैठा रहा। बचाव पक्ष के वकील ने जज से माल्या को अपनी टीम के नजदीक बैठने देने की अनुमति मांगी ताकि कुछ कठिन दस्तावेज पर उनसे बातचीत की जा सके लेकिन जज ने इसकी मंजूरी नहीं दी।
सुनवाई से पहले कोर्ट के बाहर माल्या ने कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद और गलत हैं। कोर्ट में पेश किए गए सबूतों से यह साबित हो जाएगा। सुनवाई के लिए भारत से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की चार सदस्यीय टीम लंदन आई हुई है। माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई 14 दिसंबर तक चलेगी जिसमें 6 और 8 दिसंबर दो दिन छुट्टी रहेगी।
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