चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए एक ओर हरियाणा पुलिस ने जहां हर जिले में अनेक तरह की बाधाओं को नेशनल हाईवे पर रखकर नाकाबंदी की थी। वहीं, पुलिस द्वारा किसानों पर दागे गए आंसू गैस के गोले पांच साल पुराने एक्सपायर्ड थे।
ये एक्सपायरी डेट के गोले खासतौर से रोहतक व करनाल रेंज पुलिस द्वारा दागे गए हैं। इस पूरे मामले की डीजीपी मनोज यादव ने जांच के आदेश जारी किए हैं। साथ ही यह भी डाटा मांगा है कि किस जिले में कितने गोले दागे गए हैं। ये दागे गए गोले किस मैन्यूफैक्चरिंग डेट अथवा एक्सपायरी डेट के थे।

पांच से सात साल तक की होती है इनकी अवधि-
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने और सड़कों पर धुआं फैलाने के लिए उपयोग होने वाले आंसू गैस के गोलों को पुलिस फायरिंग रेंज में चलाकर या गड्ढे में दबाकर नष्ट किया जाता है। दंगाइयों एवं प्रदर्शनकारियों आदि पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के इन गोलों के इस्तेमाल की अवधि पांच से सात साल तक की होती है।
पहले तीन वर्ष इनका इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन फिर बाद में चार साल तक इनका उपयोग प्रशिक्षण के लिए किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान आंसू गैस के उपयोग की जानकारी नए पुलिस अधिकारियों को दी जाती है। बता दें कि करनाल, अंबाला, सोनीपत और पानीपत समेत कई जिलों में पुलिस दिल्ली कूच को रोकने के लिए आंसू गैस का उपयोग किया था।
यह पूरा मामला संज्ञान में नहीं था। पुलिस किसी भी सूरत में एक्सपायरी डेट आंसू गैस के गोले नहीं दाग सकती है। अगर ऐसा हुआ है तो मामले की जांच के आदेश देकर रिपोर्ट तलब कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। प्रदेश भर में किस जिले में कितने गोले दागे गए हैं, उनका भी विवरण मांगा है।
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