चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि कुछ रिश्तों की अहमियत और असलियत बुरे वक्त में ही पता चलती है. इसलिए जानते हैं आज की चाणक्य नीति.
चाणक्य के शिक्षक होने के साथ साथ श्रेष्ठ विद्वान भी थे. चाणक्य को मनुष्य को प्रभावित करने वाले प्रत्येक विषयों की गहरी जानकारी थी. चाणक्य एक कुशल अर्थशास्त्री होने के साथ साथ समाजशास्त्री भी थे.
चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से था. चाणक्य ने इसी विश्वविद्यालय वेद पुराण और विभिन्न विषयों की शिक्षा ग्रहण की थी. विशेष बात ये है कि बाद में चाणक्य ने इसी विश्व विद्यालय में शिक्षण कार्य भी किया यानि वे तक्षशिला विश्व विद्यालय में शिक्षक बने.
चाणक्य के अनुसार बुरा वक्त हर व्यक्ति के जीवन में आता है. इस यह बुरा वक्त व्यक्ति को बहुत कुछ सिखाता है. चाणक्य के अनुसार बुरा वक्त या संकट के समय ही व्यक्ति को अच्छे बुरे का भेद पता चलता है.
चाणक्य के अनुसार बुरे वक्त में व्यक्ति को धैर्य नहीं खोना चाहिए. बुरा वक्त हमेशा के लिए नहीं आता है. इस बुरे वक्त को नकारात्मक रूप में नहीं लेना चाहिए. बुरे वक्त में इन तीन रिश्तों की सही हकीकत पता चलती है ये तीन रिश्ते कौन कौन से हैं आइए जानते हैं-
पत्नी: चाणक्य के अनुसार बुरे वक्त में पत्नी की पहचान होती है. खराब समय आने पर पत्नी यदि परछाई की तरह साथ खड़ी रहे तो बुरे से बुरा दौर भी गुजर जाता है. बुरे वक्त में जो आपकी पीढ़ा को अपनी पीढ़ा समझे वही सही मायने में सच्ची पतिव्रता है.
मित्र: चाणक्य के अनुसार इस दुनिया में दो तरह के मित्र होते हैं. प्रथम जो आपसे लाभ लेने के लिए मित्रता करें. ऐसे मित्र तभी तक साथ निभाते हैं जब तक आप उन्हें कुछ न कुछ देने की स्थिति में होते हैं. दूसरे मित्र वे होते हैं जो दिल से नाता जोड़ते हैं. ऐसे मित्र बुरे वक्त में भी साथ खड़े रहते हैं. खराब समय में जिसके पास ऐसे मित्र होते हैं वे खराब समय को आसानी से काट लेते हैं.
सेवक: चाणक्य के अनुसार सेवक की पहचान भी बुरे वक्त में होती है. बुरा वक्त आने पर भी जो आपकी सेवा के लिए तैयार खड़ा रहे वही असली सेवक होता है. ऐसे लोगों का सदैव आदर और सम्मान करना चाहिए.