गौरतलब है कि इससे पहले नीतीश अपनी शर्तों में गठबंधन में आने और अल्पसंख्यक हितों को ले कर रत्ती भर समझौता न करने की सार्वजनिक घोषणा कर भाजपा नेतृत्व को परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी का संदेश दे चुके है।
जदयू के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीते हफ्ते विधायकों की बैठक में अररिया में कथित देश विरोधी नारेबाजी वाला वीडियो, भागलपुर में हिंसा, बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय की अररिया में विपक्ष के जीतने पर आईएसआई का गढ़ बनने और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा कथित तौर पर भीड़ को उकसाने के मामले में गरमागरम चर्चा हुई।
करीब दो दर्जन विधायकों ने नीतीश से दो टूक शब्दों में ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाने की मांग की। इन विधायकों का कहना था कि अगर ऐसी घटनाएं और बयानबाजी जारी रही तो पार्टी को भविष्य में बड़ा सियासी घाटा उठाना पड़ेगा।
बताते हैं कि इसी बैठक में नीतीश ने विधायकों को भाजपा नेतृत्व से बात करने का आश्वासन दिया। इतना ही नहीं यह भी कहा कि वह राजग में अपनी शर्तों पर आए हैं। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि इन मामलों में बिहार में दोनों दलों के बीच जबर्दस्त खींचतान चल रही है। खासतौर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र द्वारा कथित तौर पर भड़काऊ भाषण के बाद भड़की हिंसा मामले में नीतीश रत्ती भर समझौता करने के मूड में नहीं हैं। यही कारण है कि चौबे के पुत्र के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज हुई है, बल्कि गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुआ है।