वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह ईरान के मुख्य परमाणु ठिकाने पर हमला करने का विचार किया था लेकिन सलाहकारों से बात करने के बाद उन्होंने यह फैसला वापस ले लिया।
इस संबंध में व्हाइट हाउस से भीतर बाकायदा एक बैठक भी हुई जिसमें उपराष्ट्रपति माइक पेंस, विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, रक्षामंत्री क्रिस्टोफर मिलर और ज्वाइट स्टाफ के चेयरमैन जनरल मार्क मिल भी मौजूद रहे।
ईरान पर हमले की चर्चा ऐसे समय में हुई, जब यह खुलासा हुआ कि तेहरान के यूरेनियम भंडार 2015 में परमाणु समझौते के तहत तय सीमा से 12 गुना बढ़ चुके हैं। बैठक पर बारीकी से निगाह रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि सलाहकारों ने ट्रंप को ईरान पर हमला न करने का सुझाव दिया क्योंकि इससे बहुत बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि इसके बाद ट्रंप ने अन्य विकल्पों के बारे में पूछताछ की लेकिन सलाहकारों ने इसके दुष्परिणामों से उन्हें अवगत करा दिया। अंत में यह फैसला हुआ कि ईरान पर हमला नहीं करना चाहिए। रिपोर्ट पर व्हाइट हाउस ने प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने भी इस पर कोई बयान नहीं दिया है।
ईरान के खिलाफ कड़ा रुख-
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने शासन के दौरान ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए रखा। ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को ईरान के साथ ओबामा के दौर में हुए परमाणु समझौते से बाहर कर लिया। ईरान-अमेरिका में तनाव उस वक्त चरम पर पहुंच गया जब अमेरिका ने ईरान के शीर्ष जनरल को हवाई हमले में मार दिया और ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए। ईरान ने भी इसके खिलाफ कई कार्रवाई कीं।
नतांज परमाणु केंद्र पर होता हमला-
ईरान में नतांज परमाणु केंद्र में यूरेनियम संवर्द्धन किए जाने की रिपोर्ट सामने आई हैं। ऐसे में ओवल ऑफिस में हुई बैठक के दौरान इस केंद्र पर हमले की योजना प्राथमिक रूप से रखी गई बताई गई। बता दें कि ट्रंप इससे पहले 20 जून 2019 को भी ईरान पर हमला करना चाहते थे लेकिन उन्होंने 10 मिनट पहले ही अपनी योजना रद्द कर दी।