एक सिम्पल गूगल सर्च से आपको ये पता चल जाएगा कि संदीप सिंह की ये कहानी असल मे कितनी दमदार है और कितने ही लोगों के लिए इंस्पिरेशन का सबब है, वैसे तो हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, अपने स्वर्णिम समय में हॉकी में भारत ने कई कीर्तिमान हासिल किए हैं, उसमे ओलंपिक स्वर्णपदक शामिल हैं। फिर अस्सी के दशक में क्रिकेट का बोलबाला हो गया और हॉकी नाममात्र का नेशनल स्पोर्ट बन के रह गया, न तो सुविधाएं और न ही रेकग्निशन और विश्व हॉकी में भी धीरे धीरे भारत का पतन होने लगा। फिर भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हॉकी अभी भी पैशन है जैसे पंजाब।
कहानी :
पंजाब के संदीप सिंह, अपनी ड्रैगफ्लिक के लिए जाने जाते हैं और इसी कारण से उन्हें फ्लिकर सिंह के नाम से भी जाना जाता है। 2006 में उनके साथ हुए एक हादसे ने उन्हें कमर के नीचे से अपाहिज बना दिया, फिर भी संदीप ने उससे उबर कर भारत के लिए कामयाबी हासिल की और उनको अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया, उनकी ज़िंदगी का नाट्य रूपांतरण है सूरमा।