सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। पिछले दो दशकों में जस्टिस मिश्रा सबसे अधिक संवैधानिक पीठों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं। पीठ में कई ऐसे संवेदनशील मामले आए जो देश की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तानेबाने के लिहाज से काफी अहम रहे। इसमें राम-जन्म भूमि मामला, सबरीमाला मंदिर मामला, आधार नंबर और दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर बैन का मामला आदि शामिल हैं। इनमें से कई मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और कभी भी फैसले आ सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ बड़े मामलों के बारे में, जिन पर सीजेआइ को फैसला देना है।
1- आधार कार्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट में 38 दिनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आधार मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। आधार की अनिवार्यता का मामला 10 मई को सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ में सुनवाई पूरी हुई थी। निजता को मौलिक अधिकार बताने का फैसला आने के बाद अब इस बारे में फैसला आएगा कि क्या आधार के लिए लिया जाने वाला डाटा निजता का उल्लंघन है या नहीं ? फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा बाकी सभी केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई है। इनमें मोबाइल सिम व बैंक खाते भी शामिल हैं। बता दें कि इस मामले की सुनवाई 38 दिनों तक चली। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि यह शीर्ष अदालत में चली दूसरी सबसे लंबी सुनवाई है। पहला मामला जिसमें सबसे ज्यादा दिनों तक सुनवाई चली वो केशवानंद भारती मामला था, जिसमें 68 दिन तक सुनवाई हुई थी।
3- एससी/एसटी पदोन्नति में आरक्षण: मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुआई वाली वर्तमान संविधान पीठ को इस बात का निर्णय देना है कि क्या इन मानदंडों पर पुनः विचार करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अक्टूबर के पहले हफ्ते में रिटायर हो रहे हैं, इस वजह से उनकी अगुआई में सरकारी नौकरियों में ‘पदोन्नति में आरक्षण’ मामले में हुई संविधान पीठ की सुनवाई का फैसला जल्द ही आ सकता है। शीर्ष अदालत यह फैसला देगी कि 2006 एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में संविधान पीठ के दिए हुए फैसले को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है या नहीं, अर्थात इस पर बड़ी पीठ को फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। नागराज मामले पांच जजों की ही एक संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) वर्गों को संविधान के अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4ख) के अंतर्गत आरक्षण दिया जा सकता है, पर इसके लिए किसी भी सरकार को कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा।