हाल ही में 17 जून को एटीएम से नकली नोट निकलने का मामला सामने आया। पीडि़त की पुकार बैंक ने नहीं सुनी और वो बैंक के चक्कर ही लगाता रह गया। एेसे में हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। हमें ये मालूम होना चाहिए कि असली और नकली नोट में कैसे फर्क किया जाता है। RBI ने प्रत्येक नोट में 9 सीक्योरिटी फीचर्स डाले हैं, जिन्हें देख कर आप अपने स्तर पर ही पता लगा सकते हैं कि नोट असली है।
RBI ने जारी किये ये 9 सेफ्टी मेजर्स-
सीक्योरिटी थ्रेड– भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किया जाने वाले नोट पर एक विंडोड सीक्योरिटी थ्रेड होता है, जो एकांतर क्रम में सजा होता है। एक हजार रुपए के नोट के थ्रेड पर ‘1000’, हिंदी में ‘भारत’ और अंग्रेजी में ‘RBI’ लिखा होता है, जबकि पांच सौ और सौ रुपए के नोट पर हिंदी में ‘भारत’ और अंग्रेजी में ‘RBI’ लिखा होता है। इस थ्रेड को रोशनी में देखने पर ये एकांतर थ्रेड एक ही क्रम में नजर आता है। पांच, दस और बीस रुपए के नोट पर भी इसी तरह एक विंडोड सीक्योरिटी थ्रेड नजर आता है, जिस पर हिंदी में ‘भारत’ और अंग्रेजी में ‘RBI’ लिखा साफ नजर आता है।
वॉटरमार्क– महात्मा गांधी सीरिज वाले नोटों में आरबीआई गांधीजी का वॉटरमार्क प्रिंट करती है, जिसमें शेड इफेक्ट होता है। इसमें कई सारी लाइनें भी होती हैं, जो सिर्फ रोशनी में ही दिखाई देती हैं। अगर आपका नोट असली है तो गांधीजी की वॉटरमार्क इमेज आपको जरूर दिखाई देगी।
लैटेंट इमेज-1000, 500, 100 और 20 रुपए के नोट के अग्र भाग में महात्मा गांधी की तस्वीर के दाईं ओर एक वर्टिकल बैंड होता है, जिसमें अंकों में रुपए का मूल्य लिखा होता है। इसे लैटेंट इमेज कहते हैं। अपनी आंखों से आड़ा पकड़ कर देखने से ही रुपए का ये अंकों में लिखा मूल्य देखा जा सकता है।
माइक्रोलैटरिंग-वर्टिकल बैंड और गांधीजी की तस्वीर के बीच में ये सीक्योरिटी फीचर होता है। यहां बहुत ही छोटे अक्षरों में RBI लिखा होता है। इसे सूक्ष्मदर्शी से अच्छे से देखा जा सकता है।
सील प्रिंट या इंटैग्लियो प्रिंट-आरबीआई द्वारा जारी किए गए नोटों में गांधीजी की तस्वीर, अशोका चक्र, आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर व सील और गारंटी व प्रॉमिस क्लॉज उभरी हुई इंक में प्रिंट किए जाते हैं, जिन्हें छू कर महसूस किया जा सकता है। ये सभी यदि किसी नोट में छूने से उभरे हुए ना लगें तो नोट नकली हो सकता है।
पहचान चिन्ह– 10 रुपए के नोट के अलावा आरबीआई ने सभी मूल्य के नोटों पर वॉटरमार्क के पास पहचान चिन्ह प्रिंट किए हैं। ये चिन्ह खास तौर पर दृष्टि बाधित लोगों के लिए नोटों में प्रिंट किए गए हैं। अलग-अलग मूल्य के नोटों पर ये चिन्ह अलग-अलग आकार में होता है। जैसे 1000 रुपए के नोट पर डायमंड आकार, 500 के नोट पर गोलाकार, 100 रुपए के नोट पर त्रिकोणाकार, 50 रुपए के नोट पर चौकोर और 20 रुपए के नोट पर आयताकार चिन्ह होता है। ये चिन्ह भी उभरे हुए होते हैं, ताकि दृष्टिबाधित छू कर पता लगा सकें कि कौनसे मूल्य का नोट है। आप इसे असली-नकली में फर्क जानने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इन्हें टैक्टाइल क्लू भी कहा जाता है।
फ्लोरोसेंस– नोट का नम्बर पैनल फ्लोरोसेंट इंक में प्रिंट किया जाता है। नोट में ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं। इन दोनों को ही अल्ट्रा वॉयलेट लाइट में देखा जा सकता है।
ऑप्टिकली वैरिएबल इंक– आरबीआई ने नवंबर 2000 में ही 1000 व 500 रुपए के नोटों में इस नए फीचर को संशोधित कलर स्कीम के साथ सम्मिलित किया है। नोट के बीच में लिखा मूल्य ऑप्टिकली वैरिएबल इंक में प्रिंटेड होता है यानी नोटों के मूल्य का कलर बदलता रहता है। 1000 व 500 सौ के नोट को सीधा पकडऩे पर अंकों का रंग हरा दिखाई देता है, जबकि किसी और एंगल से देखने पर अंकों का रंग बदल जाता है और नीला दिखाई देने लगता है।
सी थ्रू रजिस्टर– आईडेंटिफिकेशन मार्क के ऊपर दिखाई देने वाली फूल सी आकृति सी थ्रू रजिस्टर के नाम से जानी जाती है। रोशनी में देखने पर ये आकृति पूरे फूल की तरह दिखाई देती है। किसी-किसी नोट में फूल की जगह नोट का मूल्य होता है, जो बिना रोशनी के कटी-फटी सी आकृति जैसा दिखता है, लेकिन प्रकाश में देखने पर वो नोट का मूल्य नजर आता है।