पंजाब सरकार द्वारा राज्य के मान्यता प्राप्त और एफिलिएटेड स्कूलों पर 18 फीसदी जी.एस.टी. लगाने के फैसले से स्कूलों में हाहाकार मच गया है, जिस पर स्कूलों की संस्था रासा ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए इसे तानाशाही फरमान करार दिया है। रासा ने घोषणा की है कि अगर सरकार द्वारा लिया गया फैसला वापस नहीं लिया गया तो आने वाले समय में सभी जिलों में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जगतपाल महाजन और प्रदेश महासचिव सुरजीत शर्मा बब्लू ने कहा कि रासा के पंजाब में 4 हजार से ज्यादा स्कूल कम फीसें लेकर बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। रासा के स्कूलों का शिक्षित एवं होनहार स्टाफ बच्चों के सुनहरे भविष्य को उज्ज्वल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
संगठन के नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आने के बाद रासा के स्कूलों को विश्वास था कि मान्यता प्राप्त एवं प्राइवेट स्कूलों को आ रही समस्याओं का सरकार बड़े स्तर पर समाधान करेगी, लेकिन अफसोस की बात है कि सरकार द्वारा समाधान करने के बजाय स्कूलों पर जी.एस.टी. का नया फरमान लगा कर नई मिसाल कायम की है।
राज्य में समय-समय पर सत्ता में आने वाली सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त और एफिलिएटेड स्कूलों को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया था, लेकिन अब सरकार द्वारा जी.एस.टी. के दायरे में ला दिया गया है। नेताओं ने कहा कि शिक्षा बोर्ड द्वारा प्राप्त विभिन्न फीसों पर जी.एस.टी. लगाने का निर्णय बेहद निंदनीय है।उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. का असर छात्रों के साथ अभिभावकों की जेब पर भी पड़ेगा।
ऐसे में रासा द्वारा जल्द इस संबंध में विशेष बैठक बुलाकर संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जाएगी और साथ ही यह निर्णय लिया जा रहा है कि सभी जिलाें में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
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