PM मोदी: हम भारत-बांग्लादेश संबंधों में लिख रहे हैं स्वर्ण अध्याय

पिछले कुछ वर्षो से भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों को ‘स्वर्ण अध्याय’ बताते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लंबित मुद्दे, जो रिश्ते में दर्द बिंदु बनते थे, को पहले ही हल कर लिया गया है और कुछ जल्द ही हल हो जाएंगे। इन वर्षो में, हम भारत-बांग्लादेश संबंधों का सुनहरा अध्याय लिख रहे हैं। कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें पहले हल करना असंभव माना जाता था। लेकिन हमने संयुक्त रूप से इन मुद्दों पर संकल्प लिया और सुलझ गए। 

कनेक्टिविटी के मुद्दे पर बातचीत 1965 से लगभग बंद था, लेकिन अब हम इन मुद्दों पर काम कर रहे हैं और दोनों देशों केबीच कनेक्टिविटी के सभी प्रकारों से वृद्धि कर रहे हैं। हमने पहले ही कोलकाता-खुलना एसी बंधन एक्सप्रेस शुरू कर दिया है। मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश सहयोग एवं आपसी समझ से जुड़े दो अलग देश हैं।

मोदी ने यहां विश्र्वभारती विश्र्वविद्यालय के 49 वें दीक्षांत समारोह में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विश्र्वविद्यालय की कुलपति सबुजकली सेन के साथ मंच साझा किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत और बांग्लादेश सहयोग और आपसी समझ से जुड़े दो भिन्न देश हैं। चाहे उनकी संस्कृति हो या लोकनीति, दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।’ मोदी ने कहा कि बांग्लादेश भवन इसका एक उदाहरण है। विश्वभारती विश्र्वविद्यायल के आचार्य मोदी ने इस मौके पर शेख हसीना के साथ बांग्लादेश भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान हसीना भी मौजूद थीं।

अपने पहले उपग्रह बंगबंधू-1 के सफल प्रक्षेपण के लिए बांग्लादेश को बधाई देते हुए मोदी ने कहा कि देश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सहयोग करेंगे। दो देशों के बीच बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी पर को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही 600 मेगावॉट से 1100 मेगावॉट तक बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति में वृद्धि करेगा। 

रोहिंग्या, म्यांमार पर दबाव बनाने में भारत करे मदद

 

रोहिंग्या संकट को मानवीय मुद्दे के रूप में उल्लेख करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि उनकी सरकार म्यांमार पर दबाव बनाने के लिए भारत की मदद चाहती है ताकि वे अपने लोगों को वापस ले सकें। बांग्लादेश में लगभग 11 लाख रोहिंग्या रह रहे हैं। हमने उन्हें आश्रय दिया है क्योंकि हम उन्हें मानवीय आधार पर नहीं निकाल सकते थे। मेरी बहन रहना ने मुझसे पूछा था कि क्या जब अपने देश के 16 करोड़ लोगों को खान दे सकती हूं तो क्यों नहीं 7-8 लाख लोगों को खिला सकतीं। लेकिन अब मैं अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए म्यांमार पर दबाव बनाने को भारत सेसमर्थन मांगता हूं।

भारतीय संसद में भूमि सीमा समझौते की पुष्टि के बारे में बात करते हुए वह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा जब भारतीय संसद में सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से प्रधान मंत्री मोदी के शासनकाल के दौरान भारतीय संसद में भूमि सीमा समझौता कानून पास किया था तो मेरी आंखों में आंसू आ गया था। उस पल ने मुझे 1971 के उस सहयोग को याद दिला दिया था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच भावनात्मक लगाव है। उन्होंने कहा कि रवींद्र नाथ टैगोर न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश के सभी लोगों के भावना से जुड़े हुए हैं। हमारे दिल के करीब है। बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत भी उन्हीं ने लिखा था। उन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे हमेशा लगता है कि यह हमारा विश्वविद्यालय है। मानव व प्रकृति का संगम अद्भुत शांति देता है।

शांतिनिकेतन में सुरक्षा और राजनीति सहित कई मुद्दों पर बातचीत

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के साथ शांतिनिकेतन में सुरक्षा और राजनीति सहित कई मुद्दों पर बातचीत की। बांग्लादेश हाई कमीशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश भवन के उद्घाटन के बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच करीब आधे घंटे तक बैठक हुई।

बांग्लादेश के विदेश मामलों मंत्री मोहम्मद शहरियार आलम ने कहा, हालांकि मैं बैठक में उपस्थित नहीं था, लेकिन हम कह सकते हैं कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई। क्षेत्र की सुरक्षा और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।

रोहिंग्या शरणार्थियों के म्यांमार वापसी के मुद्दे पर बांग्लादेश और भारत एक पेज पर हैं। उन्होंने शरणार्थियों पर हसीना की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा कि अब उन्हें स्वदेश लौट जाना चाहिए।

आलम ने कहा कि बांग्लादेश भारत का आभारी है। क्योंकि दोनों देश एक ही पेज पर हैं। विशेष रूप से म्यांमार दौरे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मुद्दे को उठाया था। स्वराज ने रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी के संबंध में उन्होंने अपनी बातें रखी थीं।

हसीना ने अपने भाषण में कहा था कि बांग्लादेश के लोग इस वक्त रोहिंग्याओं के साथ अपना भोजन साझा कर रहे हैं। हिंसा के बाद वे लोग बांग्लादेश के कॉक्सा बाजार में आश्रय लिया था लेकिन अब उन्हें म्यांमार लौट जाना चाहिए। जब पूछा गया कि बांग्लादेश रोहिंग्या मुद्दे से निपटने और म्यांमार पर दबाव डालने के लिए किस संयुक्त तंत्र की तलाश में है, तो आलम ने कहा कि ऐसी कोई व्यवस्था अभी नहीं हुई है।

बैठक में तीस्ता जल समझौते पर चर्चा हुई या नहीं इस पर आलम ने कहा, हमारे प्रधान मंत्री ने कहा था कि उस मुद्दे पर भी विचार-विमर्श के माध्यम से हल तलाश जाएगा और हमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर पूर्ण विश्र्वास है। इस मुद्दे पर ट्रैक दो पर पहले से ही बातचीत हो रही है।

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