भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ वोट देने के भारत के फैसले की आलोचना करने के बाद अब स्वामी ने नोटबंदी पर सवाल उठा दिया है.
आंकड़ों को स्वामी ने बताया फर्जी
अहमदाबाद में चार्टर्ड अकाउंटेंट के एक कार्यक्रम में स्वामी ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी का अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर विपरीत असर नहीं दिखाने के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) के अधिकारियों पर बेहतर आर्थिक आंकड़े देने का दबाव बनाया था. स्वामी ने इन आंकड़ों को फर्जी बताया है.
CSO अधिकारियों पर था दबाव
स्वामी ने कहा कि जीडीपी के तिमाही आंकड़ों पर न जाएं. वे सब फर्जी हैं. यह बात मैं आपको कह रहा हूं, क्योंकि मेरे पिता ने सीएसओ की स्थापना की थी. हाल ही में मैं केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा (सांख्यिकी मंत्री) के साथ वहां गया था. उन्होंने सीएसओ अधिकारियों को आदेश दिया, क्योंकि नोटबंदी पर आंकड़े देने का दबाव था. इसलिए वह जीडीपी के ऐसे आंकड़े जारी कर रहे हैं, जिससे यह पता चल सके कि नोटबंदी का कोई असर नहीं पड़ा. हालांकि स्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहा है, जो कि यूपीए-2 कार्यकाल के 7.1 फीसदी से बेहतर है.
मुझे इन आंकड़ों के प्रभाव का है अंदाजा
स्वामी ने कहा कि मैं घबराहट महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मुझे पता है कि इसका प्रभाव पड़ा है. मैंने सीएसओ के निदेशक से पूछा था कि आपने उस तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों का अनुमान कैसे लगाया था जब नोटबंदी का फैसला (नवंबर 2016) लिया गया था?’ बकौल स्वामी, सीएसओ निदेशक ने बताया कि वह क्या कर सकते हैं? वह दबाव में थे. उनसे आंकड़े मांगे गए और उन्होंंने दे दिए. स्वामी ने बताया कि ऐसे में तिमाही आंकड़ों पर भरोसा न करें.
पैसे देकर ले सकते हैं मनपसंद रेटिंग
स्वामी इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों पर भी सवाल उठाए. स्वामी ने साफ शब्दों में कहा कि आप पैसे देकर ऐसी एजेंसियों से मनपसंद आंकड़े हासिल कर सकते हैं. हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रैंकिंग में सुधार किया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत की रैंकिंग में सुधार को मोदी सरकार के सुधारों का नतीजा बताया था. जेटली ने बीते 24 अक्टूबर को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई है.
य़शवंत-शौरी भी उठा चुके हैं सवाल
गौरतलब है कि सरकार पहले ही नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े फैसलों के प्रतिकूल प्रभावों की बात को खारिज कर चुकी है. ऐसे में स्वामी का यह बयान भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. स्वामी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी भी अर्थव्यवस्था पर सवाल उठा चुके हैं.