परमाणु बम आज दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक बन चुका है। इसकी विनाशलीला का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अगर कोई परमाणु बम किसी देश पर छोड़ दिया जाए, तो वहां की लाखों आबादी एक ही झटके में खत्म हो सकती है। वैसे तो दुनिया जानती है कि सबसे पहले परमाणु बम का इस्तेमाल 6 अगस्त, 1945 को किया गया था, जिसे जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराया गया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि महाभारत काल में भी ‘परमाणु बम’ का इस्तेमाल किया गया था और वैज्ञानिकों को इस बात का प्रमाण भी मिल चुका है। 

परमाणु बम का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने अपनी रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि परमाणु बम जैसे विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल महाभारत काल में भी हो चुका है। दरअसल, रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहराई से अध्ययन किया था।
रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता पर रिसर्च किया था। उनके इस रिसर्च मिशन का नाम था ट्रिनिटी यानी त्रिदेव। वर्ष 1939 से 1945 के बीच रॉबर्ट ओपेनहाइमर और अन्य वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिसर्च किया था। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर निकले थे कि महाभारत में जिस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया गया था, वो आज के परमाणु हथियार के समान ही शक्तिशाली था।
पुणे के एक डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने भी अपनी रिसर्च में माना है कि महाभारत काल में जिस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया गया था, वह परमाणु बम के समान ही था। डॉ. वर्तक ने एक किताब लिखी है ‘स्वयंभू’, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है।
दरअसल, रामायण और महाभारत काल में ब्रह्मास्त्र सबसे खतरनाक हथियार माना जाता था। उस काल में कई योद्धाओं के पास ब्रह्मास्त्र थे। कहा जाता है कि जो व्यक्ति ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता था, उसके पास इसे वापस लेने की भी क्षमता होती थी, लेकिन द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र वापस लेने का तरीका याद नहीं था। इसलिए ब्रह्मास्त्र के छूटने के बाद भारी तबाही मची थी।
सिंधु घाटी सभ्यता पर हुई रिसर्च के मुताबिक, 5000 से 7000 ईसापूर्व हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो में ऐसे कई नरकंकाल मिले हैं, जिससे पता चलता है कि उन्हें किसी भयंकर अस्त्र से मारा गया था। इसके अलावा यहां ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिससे ये पता चलता है कि किसी काल में यहां अत्यधिक मात्रा में रेडिएशन पैदा हुआ था, जितना किसी परमाणु बम के विस्फोट के बाद होता है।
महाभारत में इस बात का उल्लेख मिलता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से भयंकर तबाही जैसे हालात बन जाते थे। ऐसे हालात कि पूरी पृथ्वी के ही खत्म होने का डर रहता था। रामायण में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल बहुत ही खतरनाक माना जाता था।
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