नई दिल्ली। बिहार में एनडीए ने जीत का चौका लगाया तो तेजस्वी के हक में आए तमाम अनुमान धराशाई हो गए। बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के लिए जमीन तैयार करने का काम मोदी ब्रांड ने किया। पीएम मोदी का राजनीतिक अनुभव तेजस्वी यादव के युवा फैक्टर पर और जोश पर भारी पड़ा। जिसकी वजह से अब एक बार फिर नीतीश का सुशासन बिहार में शपथ लेने की तैयारी कर रही है।
कहते हैं सियासत में ना तो कोई किसी का परमनेंट दोस्त होता है और न परमनेंट दुश्मन और पीएम नरेंद्र मोदी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। बिहार चुनावों से पहले नीतीश के साथ मनमुटाव की खबरों को नरेंद्र मोदी ने बिहार की चुनावी रैलियों में खामोश कर दिया और नीतीश का हाथ पकड़कर मोदी ने बिहार में सुशासन और विकास की डबल इंजन सरकार का शंखनाद कर दिया।
बिहार में 15 साल की एनडीए सरकार और नीतीश के सुशासन राज पर बीजेपी से दूरी की बात कही गई। एंटी इनकमबेन्सी के बहाने नीतीश के अंत की भविष्यवाणी तक होने लगी थी, लेकिन पीएम मोदी ने बिहार के सीएम के लिए नीतीश के चेहरे को फाइनल करके विरोधियों की तमाम चालों को शह और मात दे दी।
मोदी ने ऐसे बिछाई बिसात-
लोगों से जुड़ने में माहिर हैं मोदी और बिहार चुनाव में उनकी यही सोशल इंजीनियरिंग कमाल कर गई। बिहार की बुजुर्ग महिला ने पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े। बुजुर्ग महिला वायरल हुई तो पीएम ने छपरा रैली से वायरल वीडियो के जरिए विरोधियों पर जमकर वार किया।
नरेंद्र मोदी ने बिहार के लोगों की भावनाओं की भी भुनाने की कोशिश की। उन्होंने इसके लिए छठ पूजा का इस्तेमाल किया। मोदी ने पलायन की विभीषिका झेल रहे बिहार की महिलाओं को कहा कि बेफिक्र होकर छठ मनाएं, तुम्हारा बेटा भूखा नहीं रहेगा।
कोरोना काल में सामने आईं मुसीबतों ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अपनी छाप छोड़ी। बेरोजगारी, पलायन और फिर बाढ़ जैसे मुद्दों ने नीतीश की 15 साल की मेहनत पर सवाल उठाए। लेकिन चुनावों के वक्त पीएम मोदी रैलियों ने तमाम सवालों को धुंआ-धुंआ कर दिया। मुश्किल वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में एंट्री हुई और रैलियों में दमदार तरीके से गठबंधन की बात रखकर माहौल को बदल दिया।
कामकाज और विकास को लेकर बात-
बिहार चुनाव 2020 में पीएम मोदी ने 12 रैलियां कीं और इनके के जरिए 110 विधानसभा सीटों को कवर किया। कोरोना महामारी को देखते हुए पीएम मोदी ने रैलियों के ऑनलाइन मोड को तरजीह दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 सभाओं को फेसबुक पर 4,15,926 लोगों ने देखा। ट्विटर पर 2,38,092 यूजर्स ने पीएम को सुना और इसके अलावा यूट्यूब पर 3,21,118 व्यूअर रहे।
‘जंगलराज’ पर करारा वार-
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में जंगलराज के मुद्दे को उठाया और नतीजों ने साबित कर दिया कि बिहार की जनता लालू के जंगलराज को भूली नहीं है। मोदी ने सही टाइमिंग पर जनता को जंगलराज की याद दिलाकर नजीते अपने पाले में कर लिए।
पीएम मोदी बिहार के युवाओं को अड्रेस करने में भी सफल रहे कि नीतीश कुमार की सरकार जाने पर बिहार के हालात खराब हो जाएंगे। पीएम ने कहावतों के जरिए अपहरण के किस्से युवाओं को समझाने की कोशिश की थी और अब साफ है कि पीएम की ये स्ट्रैटजी कामयाब रही।
राजनीति के महागुरू मोदी के हर मास्टरस्ट्रोक ने बिहार में विरोधियों के हर चाल को चारों खाने चित कर दिया। मोदी का ये मैजिक बता रहा है कि विरोधियों के लिए राह अभी आसान नहीं है और बिहार के नतीजों ने आने वाले चुनावों के लिए मोदी ब्रांड को और मजबूत बना दिया है।