नई दिल्ली: देशभर में कई छात्रों द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट या मार्कशीट में गड़बड़ी की खबरें सामने आती रहती हैं. इसके लिए छात्र बोर्ड में करेक्शन के अप्लाई करते हैं. कुछ लोगों की समस्या का समाधान हो जाता है, वहीं कई छात्र बोर्ड के ऑफिस के चक्कर काटते रहते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के सागर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक छात्र ने अपनी 12वीं की मार्कशीट में एक नंबर बढ़वाने के लिए मध्य प्रदेश बोर्ड को तीन साल तक हाई कोर्ट में केस लड़ा. तीन साल लंबी लड़ाई लड़ी के बाद अब कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुनाया है.
एक नंबर बढ़वाने के लिए किया संघर्ष
जानकारी के अनुसार सागर जिले के कबीर मंदिर के पास परकोटा के रहने वाले शांतनु हेमंत शुक्ला ने 2018 में एक्सीलेंस स्कूल से 12वीं की है. उन्हें 74.8 प्रतिशत अंक मिले थे, लेकिन शांतनु को भरोसा ज्यादा नंबर का था. 75 प्रतिशत अंक में 1 नंबर कम था, जो उन्हें अखर रहा था. क्योंकि 75 प्रतिशत अंक नहीं हो पाने से वे मेधावी योजना का लाभ नहीं ले पाए. इसके बाद शांतनु ने रीटोटलिंग का फॉर्म भर दिया. लेकिन रिजल्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ.
रीटोटलिंग के बाद भी आया वही रिजल्ट
शांतनु ने बताया कि उन्होंने परिवार से बात कर रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया, लेकिन रिजल्ट जस का तस आया. जब यहां से भी निराशा मिली तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाई कोर्ट में याचिका लगाई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा मूल्यांकन करने के आदेश दिए.
तीन साल कोर्ट में चला मामला
इस मामले में शांतनु माध्यमिक शिक्षा मंडल को हाई कोर्ट लेकर गए. उन्होंने तीन साल लंबी लड़ाई लड़ाई और उनके केस की 44 पेशियां हुई. केस लड़ने में शांतनु के 15 हजार रुपये खर्च हुए. तीन साल चले केस के बाद हाई कोर्ट ने शांतनु के हक में फैसला सुनाया है और माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा चेकिंग के आदेश दिए. इतना ही नहीं कोर्ट ने रि-चेकिकिंग में शांतनु के 1-2 नहीं बल्कि पूरे 28 नंबर बढ़ाने का आदेश दिया है.
नई मार्कशीट में मिले 80.04% मार्क्स
शांतनु ने बताया कि 2018 में जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोविड की वजह से सुनवाई समय पर नहीं होई. हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को 6 नोटिस भेजे लेकिन कोई भी प्रवक्ता कोर्ट नहीं पहुंचा. शांतनु की कॉपियों की दोबारा जांच हुई और नई मार्कशीट में उन्हें 80.4% मार्क्स मिले.