इंदौर की एक 24 महीने की बच्ची की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उसे सही समय पर सही इलाज नहीं मिल पाया। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना के साथ बेंगलुरू का एक नामी अस्पताल जुड़ा हुआ है। इसके तहत बच्चों की दिल की बीमारी का इलाज मुफ्त में किया जाता है। हालांकि इस इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाती है।
अस्पताल प्रशासन का आरोप है कि राज्य सरकार ने अभी तक उसका पिछला बिल नहीं चुकाया है, जिसकी रकम करीब दो करोड़ रुपये है। इस बकाये की कीमत उस नन्हीं जान को अपनी जिंदगी से चुकानी पड़ी। परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने उनकी बच्ची का इलाज नहीं किया जिससे उसकी मौत हो गई। बच्ची को दिल की बीमारी थी और सरकारी योजना के तहत उसका मुफ्त में इलाज होना था।
पीड़ित परिवार मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से सटे धार जिले का रहने वाला है। उनकी बच्ची का इलाज राज्य बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत होना था और परिवार के पास मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी का लेटर भी था। लेकिन बेंगलूरू के नारायण हृदयालय ने इलाज करने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार ने पुराना बिल नहीं चुकाया है।
बच्ची की मौत और इलाज न करने के जवाब में नारायण अस्पताल के सीओओ जोसेफ पसंगा ने कहा कि उन्होंने किसी भी मरीज को वापस नहीं भेजा है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास “हैव ए हार्ट” योजना के तहत मरीजों के इलाज की योजना है, इसके तहत हमने एमपी के चार मरीजों को भर्ती किया है।’ उन्होंने कहा कि एमपी सरकार पर हमारा बिल बकाया है।
बच्ची का जन्म 23 अगस्त को हुआ था, वह कांजेंनाइटल हार्ट डिजीज से पीड़ित थी। बच्ची का जल्द से जल्द हार्ट सर्जरी होनी थी। उसे 11 सितंबर को बेंगलुरू के नारायण अस्पताल रेफर कर दिया। 10 हजार रुपए जमा करने के बाद बच्ची के कुछ टेस्ट तो हुए लेकिन इलाज नहीं किया गया। इलाज सही समय पर न मिलने के कारण बच्ची की मौत हो गई।