मध्य प्रदेश के 104 साल के वयोवृद्ध भाजपा नेता लक्ष्मीनारायण गुप्ता नन्नाजी को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गदगद हो गए। जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन के जंबूरी मैदान पर बनाए गए मंच पर नन्नाजी से उनके हालचाल पूछे और आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम की शुरुआत की। नन्नाजी ने मुस्कुराते हुए उनका अभिवादन किया।
भाजपा इन दिनों कमल पुष्प अभियान चला रही है और पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले नेताओं का सम्मान कर रही है। अभियान के अंतर्गत पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनसंघ से लेकर पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम करने वाले नेताओं का सम्मान कर रहे हैं। मोदी ने भोपाल आने के बाद जनजातीय गौरव दिवस के महासम्मेलन की शुरुआत के पहले नन्नाजी के हालचाल पूछे तो वहां मौजूद पार्टी के सभी नेताओं व कार्यकर्ता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
हिंदूमभा में श्यामाप्रसाद मुखर्जी-सावरकर के साथ रहे
नन्नाजी मूुलत: पिछोर के रहने वाले हैं और उनका जन्म दिन छह जून 1918 को हुआ था। भोपाल में भी उनका निवास है। वयोवृद्ध लक्ष्मीनारायण गुप्ता को नन्नाजी के तौर पर पहचाना जाता है। वे वीर सावरकर, श्यामाप्रसाद मुखर्जी के साथ हिंदू महासभा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे थे। वे पांच बार विधायक रहे और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे। पहली बार वे मोतीमहल विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे। नन्नाजी 104 साल की उम्र में आज भी पार्टी के लिए समर्पित हैं। वे देश के सबसे वरिष्ठ पूर्व विधायक में शुमार हैं और उन्हें पद्म अलंकरण दिए जाने की मांग भी उठ चुकी है।
1952 में पहली विधानसभा के विधायक रहे नन्ना जी
पार्टी के वयोवद्ध नेता लक्ष्मीनारायण गुप्ता ‘‘नन्ना जी’’ का जन्म अशोकनगर जिले के ईसागढ़ तहसील में एक छोटे से मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। नन्नाजी ने प्रारंभिक पढाई पूरी कर लिपिक की नौकरी की। 1943 में नौकरी त्यागकर वकालत शुरू करने के साथ समाजसेवा में जुट गए। 1944 में नन्नाजी हिन्दू महासभा से जुडे। 1947 में डॉ. श्यामप्रसाद मुखर्जी जब हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने तो नन्ना जी को कार्यकारिणी सदस्य बनाया। 1949 में जिला सहकारी केन्द्र बैंक में डायरेक्टर रहे। 1952 में नन्नाजी पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे लगातार 20 वर्षों तक विधायक निर्वाचित होते रहे। 1990 में पुनः विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। लक्ष्मीनारायण गुप्ता 3 बार राजस्व मंत्री रहे। गांधीजी के साथ भारत छोड़ों आंदोलन में शामिल होकर 3 माह जेल यात्रा की। जम्मू कश्मीर आंदोलन के अलावा बांग्लादेश पुर्नगठन आंदोलन में भी नन्नाजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।