लखनऊ। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष MAYAWATI ने बीजेपी एंड कंपनी से बड़ी मांग कर दी है। MAYAWATI ने कहा है कि PRIME MINISTER नरेंद्र मोदी को संकीर्ण,जातिवादी व साम्प्रदायिक सोच एवं व्यवहार वाले काम छोड़ देने चाहिए। प्रेरणादायी ‘वंदेमातरम’ गान के उचित आदर-सम्मान को बरकरार रखने के लिये इसका राजनीतिक इस्तेमाल तत्काल बंद होना चाहिए।
मायावती ने आगे कहा है कि बीजेपी नेताओं व इनकी सरकारों की कथनी व करनी में ज़मीन-आसमान का अंतर है। यही वजह है कि इनको देश की जनता को केवल उपदेश देते रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है। देश के करोड़ों युवाओं को रोजगार की सख़्त ज़रूरत है, जो यह सरकार उन्हें लगातार आश्वासनों के बावजूद नहीं दे पा रही है।
स्वामी विवेकानन्द के शिकागों में संबोधन के 125 वर्ष के मौके पर पीएम के संबोधन पर भी मायावती ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश व समाज अच्छे सरकारों की अच्छी नीति व कर्मों से बनता है। सूखे उपदेशों व झूठे सरकारी आश्वासनों से नहीं। इसलिए बीजेपी नेताओं व इनकी सरकारों को अहंकार व जन-विरोधी रवैया त्यागकर सही मायने में जनहित व जनकल्याण के लिये काम करना चाहिये।
MAYAWATI ने कहा आरएसएस…
मायावती ने आगे यह भी कहा है कि RSS की संकीर्ण, जातिवादी व सामप्रदायिक सोच एवं व्यवहार PM MODI को त्याग देना चाहिए। मोदी को देश निर्माण का सही कार्य करना चाहिये, जो कि इस सरकार में देखने को नहीं मिल रहा है। बीजेपी द्वारा पहले चुनावी स्वार्थ की पूर्ति के लिये ‘वन्देमातरम’ का इस्तेमाल किया गया और अब इसको अपने एक राजनैतिक नारे के रूप में बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण व देश के लिये चिन्ता की बात है।
MAYAWATI ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं को शिक्षा, रोजगार व सम्मान आदि नहीं दे पा रहे हैं। मोदी उपदेश पर उपदेश देते चले जा रहे हैं। वे कहते हैं कि युवाओं को मंदिर निर्माण से पहले शौचालयों का निर्माण करना चाहिये।
MODI आरएसएस व बीजेपी वालों को क्यों नहीं समझाते और सरकार की शक्ति का सही इस्तेमाल इन कामों के लिये करने में क्यों कतराते हैं? क्या सरकार की शक्ति का इस्तेमाल केवल गरीबों व मध्यम आय वर्ग वालों को परेशान करने के लिये नोटबंदी जैसे कार्य व किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने के लिये नया भूमि-अधिग्रहण कानून बनाने के लिये किया जायेगा? यह सरासर गलत है तथा सरकार के नैतिक पतन का संकेत भी है।
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मायावती ने आगे कहा है कि मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मैं यहां आया, पूरी ताकत से वंदे मातरम वंदे मातरम सुन रहा था, रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं पूरे हिंदुस्तान को पूछ रहा हूं क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है। मैं जानता हूं मेरी ये बात बहुत लोगों को चोट पहुंचाएगी। 50 बार सोच लीजिए, क्या हमें वंदेमातरम कहने का हक है? पान खा कर भारत मां पर पिचकारी मारे और फिर वंदे मातरम बोलें? हम वो लोग सारा कूड़ा कचरा भारत मां पर फेंकेंगे और फिर वंदे मातरम बोलें? इस देश में सबसे पहले किसी को हक है तो देश भर में सफाई का काम करने वाले भारत मां के उन सच्चे संतानों को है। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या मोदी की इन बातों का स्वयं बीजेपी एंड कंपनी के लोगों पर ही इसका कुछ असर पड़ने वाला है?