राज्यसभा से हाल ही में अयोग्य करार दिए गए जेडीयू नेता अली अनवर की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने राज्यसभा अध्य्क्ष से जवाब मांगा है. दरअसल अली अनवर ने अपनी सदस्यता बहाल करने की अपनी याचिका में हाईकोर्ट से कहा है कि राज्यसभा के सभापति ने उन्हें और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को 4 दिसंबर को अयोग्य करार देने से पहले उनकी बात रखने का कोई मौका उन दोनों को नहीं दिया.दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर को राज्यसभा सदस्य के तौर पर यादव की अयोग्यता पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें अपने वेतन, भत्ते और अन्य लाभ लेने के साथ साथ बंगले में बने रहने की अनुमति दी थी. इससे पहले शरद यादव गुट की याचिका पर चुनाव आयोग और नीतीश कुमार गुट को हाई कोर्ट नोटिस कर चुका है.
अली अनवर से पहले जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव गुट के हाल ही मे नियुक्त किये गए अध्यक्ष के राजशेखरन ने तीर के चिह्न पर उनके दावे को खारिज करने वाले निर्वाचन आयोग के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट मे चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी. इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग और नीतीश कुमार को नोटिस किया था, जिस पर 18 फरवरी को हाइकोर्ट मे सुनवाई होनी है.
जद (यू) नेता ने हाइकोर्ट मे निर्वाचन आयोग के हाल ही मे 25 नवंबर के दिए गए आदेश को चुनौती दी है. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुट असली जदयू है और इसी लिए नीतिश कुमार को तीर का चिह्न आवंटित किया जा रहा है. नीतीश के इसी साल जुलाई में भाजपा से हाथ मिलाने के बाद शरद यादव नीतीश कुमार से अलग हो गए थे.
इसके बाद से ही दोनों के बीच पार्टी पर अपने अधिकार को लेकर लड़ाई चल रही है. शरद यादव गुट इससे पहले निर्वाचन आयोग के 17 नवंबर के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट पहुंचा था. जिसमें आयोग ने नीतीश कुमार के गुट वाली जद (यू) के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन उसने इस फैसले को देने के कारण नहीं बताए थे. राजशेखरन ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से चुनाव आयेाग के 25 नवंबर के फैसले को तुरंत रद्द करने की मांग की है.
इससे पहले की याचिका दिल्ली हाइकोर्ट मे गुजरात विधायक छोटू भाई वसावा की तरफ से दायर की गई थी, जोकि उस समय यादव गुट के कार्यकारी अध्यक्ष थे. नीतीश कुमार गुट ने कोर्ट को बताया कि उनकी पार्टी के सभी सदस्यों ने पहले ही तीर चिह्न के साथ आवेदन किया है, जिसे चुनाव आयोग ने अनुमति दी है, जबकि यादव गुट ने दावा किया कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन तोड़कर पार्टी के संसदीय समिति के फैसले का सीधा उल्लंघन किया है.