Jabalpur News मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश में साफ किया कि कि कोई सरकारी कर्मचारी 30 जून को रिटायर होता है, तो भी उसे महज एक दिन के लिए प्रतिवर्ष दी जाने वाली एक वेतनवृद्घि के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि वैसे भी वेतनवृद्घि 1 जुलाई से 30 जून तक के अरसे के लिए की जाती है, अगली 1 जुलाई तक नहीं। इस मत के साथ प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा इस मामले में दिए गए निर्णय को उचित ठहराया।
जबलपुर में विजय नगर निवासी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि शासकीय कर्मी को प्रतिवर्ष मिलने वाली वेतनवृद्घि का लाभ 1 जुलाई से दिया जाता है। वे 30 जून 2015 को रिटायर हुए। इस वजह से उन्हें वर्ष 2015 के लिए वेतनवृद्घि का लाभ नहीं दिया गया।
इसके चलते याचिकाकर्ता को जितनी पेंशन मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही है। 3 दिसंबर 2019 को हाई कोर्ट के जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने सेवाकाल पूरा करते हुए विवादित वर्ष भर कार्य किया है, इसलिए वह वेतनवृद्घि पाने का अधिकारी है।
इस फैसले को राज्य सरकार की ओर से अपील के जरिए चुनौती दी गई। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह, अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने दलील दी कि पूरे साल काम करने के बाद महज एक दिन के लिए याचिकाकर्ता का वेतनवृद्घि पाने का अधिकार नहीं छीना जा सकता। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला दिया गया। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने एकलपीठ के पूर्व आदेश को गलत बताया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने सिंगल बेंच के उक्त आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी।