कानपुर आईआईटी में जूनियर छात्रों के साथ हुई रैगिंग के मामले में आईआईटी प्रशासन ने 22 छात्रों को निलंबित कर दिया है. सीनेट में चली काफी लंबी बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया. इन सभी छात्रों ने जांच कमेटी के सामने अपनी बात रखी थी, लेकिन इनका पक्ष आईआईटी प्रशासन के सामने गलत साबित हुआ.
आईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने मंगलवार को बताया कि रैगिंग मामले में आरोप साबित होने के बाद छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिन 22 छात्रों को निलंबित कर किया गया है. इनमें से 16 छात्रों को तीन साल के लिए, जबकि 6 छात्रों को एक साल के लिए निलंबित किया गया.
अगस्त के महीने में आईआईटी के जूनियर फ्रेशर छात्रों के साथ हाल-2 में सीनियर ने रैगिंग की थी. इसके बाद सीनेट की बैठक में इस बात पर काफी चर्चा हुई. जूनियर की शिकायत के बाद आईआईटी प्रशासन ने एक जांच दल बनाया, जहां जांच में आरोप सही पाया गया. रैगिंग के मामले में 22 छात्र निलंबित कर दिए गए.
बताया जा रहा है कि आईआईटी में रैगिंग का यह मामला 19 और 20 अगस्त की रात का है. पीड़ित जूनियर छात्रों ने आरोप लगाया था कि इंस्टीट्यूट के हॉल-2 में सीनियर छात्रों ने जूनियरों पर गलत हरकतें करने के लिए दबाव बनाया. मना करने पर उन्हें गालियां दी गईं. कुछ ने पिटाई की भी शिकायत की थी.
जूनियर छात्रों की शिकायत पर डीन स्टूडेंट अफेयर्स और एंटी रैगिंग कमेटी ने जांच करने के बाद 22 छात्रों को चिह्नित किया था. इन छात्रों को बर्खास्त करने और एफआईआर करने की सिफारिश की गई थी. एस सैक की रिपोर्ट के आधार पर सभी छात्रों को सीनेट ने निलंबित कर दिया था.
बताते चलें इससे पहले भी आईआईटी कानपुर ने 60 छात्रों को उनके खराब प्रदर्शन के कारण कॉलेज से निकाल दिया था. कई वार्निंग देने के बावजूद उनके विषयों में प्रदर्शन में सुधार न होने के कारण यह कदम उठाया गया था. निष्कासित 60 छात्रों में 46 अंडरग्रेजुएट, 8 पोस्ट ग्रेजुएट और 6 रिसर्च स्कॉलर्स थे.