जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले का केस क्रैक कर लिया है. पुलिस ने दावा किया कि अमरनाथ यात्रियों पर लश्कर-ए तैयबा के आतंकियों ने हमला किया था. हमले में शामिल तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि हमले के मास्टरमाइंड अबु इस्माइल समेत 3 आतंकी अब भी फरार हैं.
मगर जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी मुनीर खान ने जो खुलासे किए हैं, उनसे कई सवाल खड़े हो गए हैं. उन्होंने बताया ”आतंकियों ने 9 जुलाई को अटैक करने की योजना बनाई थी. मगर उस दिन सीआरपीएफ या यात्रियों का कोई वाहन नहीं मिलने पर उन्हें अपने प्लान में फेरबदल करना पड़ा. इसके बाद 10 जुलाई को आतंकियों के सामने अमरनाथ यात्रियों की बस आ गयी, इसलिए उन्होंने बस को निशाना बनाया.” मुनीर खान ने बताया कि अगर वहां से सीआरपीएफ जवानों का वाहन गुजरता तो आतंकी उस पर अटैक करते. आतंकियों ने यही योजना बनाई थी.”
मुनीर खान के इस दावे का मतलब है कि अगर 10 जुलाई की रात अमरनाथ यात्रियों की बजाय सीआरपीएफ जवानों की गाड़ी अनंतनाग की उस सड़क से गुजरती तो आतंकी उसे अपना निशाना बनाते. मगर वहां अमरनाथ यात्रियों की बस आ गई और आतंकियों ने उस पर ही हमला बोल दिया. तो क्या अमरनाथ यात्री आतंकियों का पहला निशाना नहीं थे, ये बड़ा सवाल है.
आईजी मुनीर खान ने हमले को अंजाम देने की आतंकियों की योजना भी बताई. उन्होंने बताया ”आतंकियों ने हमले के लिए ‘कोड वर्ड’ तय किए थे. अमरनाथ यात्रियों की बस के लिए ‘शौकत’ और सीआरपीएफ जवानों की गाड़ी के लिए ‘बिलाल’ कोड वर्ड रखा गया था.”
मुनीर खान के इस दावे से जाहिर होता है कि आतंकियों की योजना सिर्फ सीआरपीएफ जवानों पर हमला करने की नहीं थी, उनके निशाने पर अमरनाथ यात्री भी थे. अगर ऐसा नहीं था तो अमरनाथ यात्रियों की बस के लिए ‘कोड वर्ड’ क्यों तय किया गया?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो मुनीर खान के दावों के बाद उठे हैं. हालांकि, दूसरी तरफ उन्होंने कहा है कि ये हमला महज खौफ पैदा करने के मकसद से किया गया था. उन्होंने आगे ये भी दावा किया कि जल्द ही बचे हुए आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा.