रानीबाग स्थित एचएमटी फैक्टरी की जमीन भले ही सरकार को हस्तांतरित हो चुकी है लेकिन प्रदेश सरकार अब तक इस भूमि और यहां स्थित करोड़ों के भवनों का सदुपयोग नहीं कर सकी है। नतीजा यह है कि एचएमटी परिसर में चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं। लगातार जर्जर हो रहे भवन भी झाड़ियों से पटने लगे हैं।
वर्ष 1982 में तत्कालीन केंद्रीय उद्योग मंत्री रहे पंडित नारायण दत्त तिवारी के प्रयासों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रानीबाग में एचएमटी फैक्टरी की स्थापना को मंजूरी दी थी। वर्ष 1983 में पंडित तिवारी ने इसका शिलान्यास किया था और वर्ष 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस फैक्टरी का उद्घाटन किया था। एचएमटी घड़ी का उत्पादन करने वाली इस फैक्टरी में पांच सौ से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार मिला था लेकिन बाद के वर्षों में फैक्टरी घाटे में जाने पर वर्ष 2016 में इसे बंद कर दिया गया।
एचएमटी फैक्टरी लगभग 45 एकड़ भूमि में फैली हुई थी जिसमें फैक्टरी परिसर के अलावा आवासीय कॉलोनियां, अस्पताल, खेल मैदान आदि थे। वर्ष 2022 में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने एचएमटी की बहुप्रतिक्षित 45.33 एकड़ भूमि 72 करोड़ 2 लाख 10 हजार रुपये की रिजर्व प्राइज पर उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित कर दी थी। बंदी के बाद से आज तक किसी भी सरकार ने इस जमीन का सदुपयोग करने की जहमत नहीं उठाई है। इसके चलते आवासीय कॉलोनियों के तीन मंजिल भवन लगातार खंडहर में तब्दील हो रहे हैं।
मिनी सिडुकल बनाने की योजना पर भी नही हुआ अमल
दो साल पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एचएमटी की जमीन पर मिनी सिडुकल स्थापित करने की घोषणा की थी। सीएम की घोषणा के बाद युवाओं को उम्मीद थी कि मिनी सिडकुल बनाने के बाद यहां रोजगार के अवसर पैदा होगें लेकिन न तो मिनी सिडुकल स्थापित हुआ और न ही रोजगार मिला।
एचएमटी की भूमि पर सिडकुल की ओर से मिनी सिडुकल के लिए योजना बनाई गई है। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। यदि प्रस्ताव बनाया होगा तो उसे शासन स्तर को भेजा जाएगा।
-दीपक रावत आयुक्त कुमाऊं मंडल
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