GST: पुरानी ज्वैलरी देकर नई ली, तब भी पूरी कीमत पर लगेगा टैक्स

GST: पुरानी ज्वैलरी देकर नई ली, तब भी पूरी कीमत पर लगेगा टैक्स

अगर आप पुरानी ज्वैलरी देकर नई ज्वैलरी खरीदते हैं तब भी नई की पूरी कीमत पर जीएसटी लगेगा। जीएसटी कमिश्नर उपेंद्र गुप्ता ने ये बात कही।GST: पुरानी ज्वैलरी देकर नई ली, तब भी पूरी कीमत पर लगेगा टैक्स
भास्कर रीडर्स के सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि नई टैक्स व्यवस्था में घर बनाना सस्ता होगा। इंडस्ट्री की अधूरी तैयारी पर उनका कहना है कि पहला रिटर्न फाइल करने में अभी 40 दिनों से ज्यादा का वक्त है, उन्हें काफी समय मिलेगा। जीएसटी में कारोबारियों और टैक्स अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत कम से कम होगी, इसलिए अफसरों द्वारा कारोबारियों को टॉर्चर करने की आशंका भी गलत है। आम लोगों और कारोबारियों ने भास्कर को कई अहम सवाल भेजे। भास्कर ने जीएसटी कमिश्नर उपेंद्र गुप्ता से इन सवालों के जवाब लिए…
Q. बैंक और कई इंडस्ट्री कह रही है कि नियम देर से फाइनल हुए हैं। उन्हें तैयारी के लिए बहुत कम समय मिला है। वे पूरी तरह तैयार नहीं है। ऐसे में क्या होगा?
A.10 अगस्‍त, 2017 के पहले तक किसी करदाता को पहला रिटर्न दायर नहीं करना है। यानी इंडस्ट्री को तैयारी करने के लिए अभी 40 दिन से ज्यादा का समय है। सरकार सभी नियमों को लगातार अपलोड कर रही है।
Q. लोग पुरानी ज्वैलरी देकर नई ज्वैलरी लेते हैं। ऐसे में टैक्स पूरी कीमत पर लगेगा या कीमत में डिफरेंस पर? पुरानी ज्वैलरी पर तो ग्राहक पहले टैक्स दे चुका है।
A. पूरी कीमत पर लगेगा। ऐसी आपूर्ति (बिक्री) का प्रतिफल पूरी तरह से पैसे में नहीं होता, अत: अतिरिक्त प्रतिफल का भी आकलन करना होगा। इसलिए कर पूरे मूल्य पर लगाया जाएगा।
Q. जीएसटी के बाद भी दो लाख रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी खरीदारी पर पैन का नियम लागू रहेगा?
A.लाख रुपए से ज्यादा के ज्वैलरी के कारोबार में पैन की घोषणा करना आयकर विभाग ने जरूरी किया है। इसका जीएसटी से कोई लेना-देना नहीं है। यह यथावत रहेगा।
Q. कारोबारियों की आम शिकायत है कि कलेक्शन टार्गेट पूरा करने के लिए टैक्स अधिकारी जबरदस्ती करते हैं। जीएसटी में ऐसा नहीं हो, इसे कैसे सुनिश्चित करेंगे?
A.एसटी एक ऑनलाइन ‘नॉन इंट्रूसिव’ कर व्यवस्था है। इसमें करदाताओं और कर अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क कम से कम होगा। अत: राजस्व लक्ष्य पूरा करने के लिए दबाव डालने जैसी कोई स्थिति पैदा नहीं होगी।
Q. जीएसटी में मोबाइल चेक पोस्ट बनाने का प्रस्ताव है। यह ट्रांसपोर्टेशन के दौरान सामान की चेकिंग करेगा। इससे तो रिश्वतखोरी बढ़ेगी?
A. जीएसटी में कोई प्रत्यक्ष चेकपोस्ट नहीं होगा। इसकी जगह ई-वे बिल व्यवस्था लाई जाएगी।
Q. जीएसटी नेटवर्क पर हर महीने करीब 350 करोड़ इनवॉयस की प्रोसेसिंग होगी। जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटीएन में किसी तरह की खराबी आती है, लोड नहीं ले पाता है, तो इसका विकल्प क्या होगा?
A. जीएसटीएन पिछले तीन साल से इस व्यवस्था को तैयार कर रहा है। ऐसी गड़बड़ी की आशा नहीं की जा सकती है।
 
Q. किसी इवेंट में सामान (जैसे कोई मशीन) लेकर गया, इवेंट खत्म होने के बाद वापस ले आया। इसमें जीएसटी लगेगा? हां तो किस हिस्से पर और कितना?
A. एसटी का भुगतान तब करना होगा जब इसमें सीजीएसटी एक्ट, 2017 की धारा-7 में परिभाषित रूप से आपूर्ति की जा रही होगी। इसके लिए मूल्य का निर्धारण करदाता स्वयं करेगा। ऐसे मामलों में भुगतान किए गए कर पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
Q. वैलुएशन रूल्स में लिखा है कि ‘ओपन मार्केट वैल्यू’ पर टैक्स लागू होगा। लेकिन ‘ओपन मार्केट वैल्यू’ कौन तय करेगा?
A. वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के ‘खुला बाजार मूल्य’ में आईजीएसटी, सीजीएसटी, एसजीएसटी, यूटीजीएसटी और उपकर (सेस) शामिल नहीं होंगे। कीमत का निर्धारण करदाता ही करेगा।
Q. कॉपीराइट के स्थायी ट्रांसफर को गुड्स माना जाएगा या सर्विस?
A. इसे सेवा की आपूर्ति माना जाएगा।
Q. सर्विस 30 जून को दी, बिल जेनरेट भी हुआ 30 जून को, लेकिन मिला जुलाई में। उसमें सेनवैट क्रेडिट मिलेगा या नहीं?
A. निर्धारित तारीख से पहले प्राप्त क्रेडिट को जीएसटी क्रेडिट के रूप में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसके लिए नियमों में दी गई शर्तों का पूरा होना आवश्यक होगा।
 
क्या है GST?
– GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। इसको केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जाएगा। ये ऐसा टैक्‍स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेस की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू होगा।
– इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
– सरल शब्‍दों में कहें तो GST पूरे देश के लिए इनडायरेक्‍ट टैक्‍स है, जो भारत को एक समान बाजार बनाएगा। GST लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।
GST लागू होने से क्या होगा?
– GST यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। इसे केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले लगाया जा रहा है। GST के बाद एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे टैक्स खत्म होंगे।
GST लागू होने से आम आदमी को क्या फायदा होगा?
टैक्सों का जाल और रेट कम होगा: अभी हम अलग-अलग सामान पर 30 से 35% टैक्स देते हैं। GST में कम टैक्स लगेगा।
एक देश, एक टैक्स: सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं।

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