गुजरात में इस बार जीएसटी की मार से गरबा भी अछूता नहीं है. नवरात्रि के लिए स्पॉन्सर नहीं मिल रहे जिस वजह से आयोजकों के लिए गरबा जेब पर काफी भारी साबित होने वाला है.
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इस बार गुजरात में गरबा का रंग फीका है, वजह है जीएसटी जिसकी वजह से नवरात्र के लिए स्पॉन्सर्स मिल नहीं रहे. नौ दिन की नवरात्रि के लिए 50 से 60 लाख रुपये तक का खर्च आता है, पहले स्पॉन्सर्स से ये पैसे मिल जाते थे लेकिन इस साल स्पॉन्सर्स आगे आ नहीं रहे हैं.
गरबा आयोजकों का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में रेरा की वजह से मंदी है तो टेलीकॉम, एफएमसीजी, पानमसाला कंपनियों पर जीएसटी और नोटबंदी की मार पड़ी है.
इस वजह से कम कंपनियां नवरात्र के स्पॉनसरिशप में रुचि ले रही हैं जो आगे आए भई हैं उन्होंने अपना बजट कम कर दिया है.
आमतौर पर गरबा आयोजक अपने खर्चे का 80 फीसदी हिस्सा स्पॉन्सर्स के जरिये निकल लेते थे और बाकी 20 फीसदी हिस्सा टिकट की बिक्री से पूरा हो जाता था. ऐसे में अब वो ये प्रार्थना कर रहे हैं बारिश का विघ्न ना हो और टिकट खूब बिके ताकि घाटा कम हो सके.