फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में रखकर जहां बड़ा झटका दिया है, वहीं 39 देशों में 38 ने भी उससे मुंह मोड़ लिया। सिर्फ तुर्की ही एक ऐसा देश रहा जिसने पाक को ग्रे लिस्ट से बाहर निकाले जाने की बात कही है। पाकिस्तान और तुर्की के बीच मित्रता के पीछे असली कारण इस्लाम का विस्तारवाद है, जो इस्लामिक दुनिया में सऊदी अरब से नेतृत्वकारी जगह लेना चाहता है।
रेसप तैयप एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की तुर्क साम्राज्य की विरासत को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है। FATF ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ लिस्ट में डाला था और इस्लामाबाद को मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के आखिर तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी के कारण इस मियाद में वृद्धि कर दी गई।
भारत ने पाकिस्तान की हकीकत से विश्व के सामने पर्दा उठाया और बताया है कि पाक ने 27 में से केवल 21 बिंदुओं पर काम किया है और अभी भी वहां आतंकियों को शरण दी जा रही है। भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान यूनाइटेड नेशंस की सूची में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया और दाउद इब्राहिम जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है।