भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की गिरफ्तारी से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने यूके की अदालत में एफिडेविट दायर कर दावा किया था कि 7 देशों में मौजूद शेल कंपनियों में लोन अमाउंट से 500 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की थी। माल्या को आईडीबीआई बैंक ने 900 करोड़ रुपये का लोन दिया था।
इन देशों में किया था लोन अमाउंट को डायवर्ट
माल्या ने जिन देशों में लोन अमाउंट को डायवर्ट किया था उनमें अमेरिका, यूके, फ्रांस, स्विटजरलैंड और आयरलैंड शामिल हैं। ईडी ने कहा कि माल्या ने लोन के पैसे को डायवर्ट करने के लिए कई शेल कंपनीज और किंगफिशर एयरलाइंस को छोड़कर ग्रुप की अन्य कंपनियों का इस्तेमाल किया था। इसके लिए फर्जी इनवॉयस भी तैयार किए गए थे।
शेल कंपनियों में फंड को डायवर्ट करने के लिए माल्या ने डमी डायरेक्टर भी नियुक्त किया था, लेकिन इनका बिजनेस और फंड ट्रांसफऱ जैसा काम उसने अपने पास रखा था। ईडी सूत्रों के मुताबिक यूके कोर्ट ने ऐफिडेविट को स्वीकार किया, जिसके चलते माल्या को गिरफ्तार किया गया था।
इसे भी देखें:- 30 मिनट की मीटिंग के बाद शिवपाल ने ठुकराया मुलायम का ये बड़ा प्रस्ताव, जानें क्यों..
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर इस मामले में माल्या को बाद में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट से छह लाख 50 हजार पौंड (लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये) के मुचलके पर जमानत भी मिल गई। यह जानकारी क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने दी है जो माल्या के खिलाफ दर्ज मामले में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इससे पहले 61 वर्षीय माल्या को प्रत्यर्पण के मामले में इस साल अप्रैल में भी गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में भी वह जमानत पर है। स्टेट बैंक सहित भारत के विभिन्न बैंकों से उसने एयरलाइन कंपनी किंगफिशर के लिए 9000 करोड़ रुपये का लोन लिया जिसे उसने वापस नहीं किया।